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उपराष्ट्रपति : NDA की तरफ से शिवराज समेत चार नामों की चर्चा, लेकिन मोदी-शाह के लिए निर्णय लेना मुश्किल

पटना : देश में राष्ट्रपति चुनाव के बाद उपराष्ट्रपति के चुनाव का ऐलान हो चुका है। इसके लिए पांच जुलाई को नोटिफिकेशन जारी होगा। 19 जुलाई को नामांकन की आखिरी तिथि है और छह अगस्त को वोटिंग होगी, इसी दिन मतगणना भी होना है। राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की तरफ से झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुरमू उम्मीदवार हैं, तो विपक्ष के तरफ से भारत सरकार के पूर्व मंत्री यशवंत सिन्हा मैदान में हैं। अब उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारों के नामों की चर्चा शुरू हो गई है। विपक्ष के तरफ से अभी तक किसी भी नामों पर चर्चा शुरू नहीं हुई है, वहीं एनडीए में चार नामों की चर्चा शुरू है।

एनडीए की तरफ से वर्तमान उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री सह भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी तथा कांग्रेस के पूर्व नेता एवं पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री वर्तमान में भाजपा की सहयोगी कैप्टन अमरिंदर सिंह का नाम चर्चाओं में है।

इस वजह से वेंकैया नायडू पुनः रेस में

इन चारों उम्मीदवारों को लेकर अलग-अलग तरह के तर्क दिए जा रहे हैं। वेंकैया नायडू को लेकर कहा जा रहा है कि उनका कार्यकाल निर्विवाद और श्रेष्ठ रहा। काफी पढ़े लिखे संतुलित और सधे हुए इंसान हैं, सदन का संचालन भी उन्होंने बखूबी से किया है। वेंकैया नायडू एक प्रखर वक्ता भी हैं, जो कि राष्ट्रीय विमर्श की बातों को देश-विदेश के अलग-अलग मंचों पर सार्थकता के साथ रखते हैं। वेंकैया नायडू को लेकर या चर्चा थी कि उन्हें इस बार राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया जा सकता है लेकिन ऐन वक्त पर एनडीए की तरफ से द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया गया। इसी को देखते हुए अब यह कहा जा रहा है कि संभव है कि एक बार पुनः वेंकैया नायडू को उपराष्ट्रपति पद के लिए रिपीट किया जा सकता है।

इस वजह से चौहान का नाम चर्चा में लेकिन मोदी और शाह के लिए निर्णय लेना मुश्किल

उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए के तरफ से एक चौंकाने वाले नामों की चर्चा शुरु है। वे हैं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता शिवराज सिंह चौहान। चौहान अभी भी संघ की पसंद बने हुए हैं। वहीं, चर्चाओं की मानें तो मोदी और शाह लंबे समय से शिवराज सिंह चौहान को साइड करना चाहते हैं। 2024 को फतह करने को लेकर मोदी और शाह शिवराज सिंह चौहान को निर्विवाद रूप से देश का बड़ा ओबीसी चेहरा बता कर बतौर उपराष्ट्रपति दिल्ली में बैठाना चाह रहे होंगे।

वहीं, शिवराज सिंह चौहान का नाम सामने आने के बाद दो तरह के तर्क दिए जा रहे हैं। पहला यह कि उपराष्ट्रपति बनने के कारण त्रिस्तरीय चुनाव को लेकर चौहान यथासंभव पूरे मध्यप्रदेश का दौरा कर रहे हैं। वहीं, इसी से संबंधित दूसरा तर्क यह दिया जा रहा है कि चौहान बतौर मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश में रहना चाहते हैं। इसलिए, वे लगातार पूरे क्षेत्र का दौरा कर अपने आप को मजबूत दिखा रहे हैं।

संघ का सहमति आवश्यक!

हालांकि, शिवराज सिंह चौहान को अगर उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाया जाता है, तो इसमें मोदी और शाह को संघ की अनुमति लेना अति आवश्यक होगा। संघ के अनुमति के बगैर शिवराज सिंह चौहान को लेकर मोदी और शाह कोई भी निर्णय नहीं ले सकते हैं।

इस वजह से नकवी रेस में

इसके अलावा उपराष्ट्रपति पद के लिए मुख्तार अब्बास नकवी का भी नाम सामने आया है। नकवी को लेकर यह तर्क दिया जा रहा है कि वर्तमान में दुनिया भर में मोदी सरकार का मुसलमानों को लेकर जो नकारात्मक छवि बनाई जा रही है, उसे पाटने के लिए भाजपा मुख्तार अब्बास नकवी को बतौर उप राष्ट्रपति प्रोजेक्ट कर सकती है।

मुख्तार अब्बास नकवी उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार होंगे, इस बात का दावा इस तर्क के साथ मजबूत होता है कि मुख्तार अब्बास नकवी अभी किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं और केंद्र में मंत्री बने हुए हैं। इसलिए नकवी बतौर उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा है।

इस वजह से कैप्टन अमरिंदर सिंह का नाम चर्चा में लेकिन अड़चनें बहुत

वहीं, उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए के तरफ से सबसे पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह का नाम चर्चा में आया है। कैप्टन अमरिंदर सिंह का नाम इस वजह से तेजी से फैल रहा है, क्योंकि उन्होंने अपने दल का विलय भाजपा के साथ करने की घोषणा कर दी है। इसी के साथ यह कहा जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी कैप्टन अमरिंदर सिंह के बहाने सिखों के वोटों को अपने पाले में लाना चाहती है। मोदी और शाह अमरिंदर को आगे कर लगभग डेढ़ दर्जन लोकसभा सीटों पर बढ़त बनाना चाहते हैं।

हालांकि, कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबियों का कहना है कि स्वास्थ्य कारणों से वे उपराष्ट्रपति जैसे बेहद जिम्मेदारी वाले पद को स्वीकार करने की स्थिति में नहीं हैं। लेकिन पार्टी को एक दिशा देने के लिए कुछ भी संभव है। साथ ही अपनी बेटी को राजनीति में स्थापित करने के लिए कुछ प्रयास किया जा सकता है। बहरहाल, अंतिम निर्णय कैप्टन अमरिंदर सिंह के भारत आने के बाद ही होगा।