पटना : पटना शहर के विभिन्न स्लम एरिया में उपलब्ध स्वास्थ्य और पोषण पर आज सेंटर फॉर हेल्थ एंड रिसोर्स मैनेजमेंट (चार्म) ने एक रिपोर्ट जारी की। बिहार चैम्बर ऑफ कॉमर्स में आयोजित कार्यक्रम में पटना के सभी स्लम इलाकों की महिलाओं ने भाग लिया।
रिपोर्ट पर चर्चा करते हुए डॉ अनामिका ने कहा कि हम स्वास्थ्य से जुड़े रिपोर्ट कार्ड पेश जरूर कर रहे हैं, लेकिन इसका मतलब किसी की निंदा करना कतई नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे करती है। लेकिन सरकार द्वारा किये गए वादे या दावे की जमीनी सच्चाई क्या है, इसे परखने की कोशिश की गयी है। खासकर महिलाओं के लिए पोषण और स्वास्थ्य को लेकर शुरू हुई योजनाओं की क्या स्थिती है। ये सर्वे महिलओं द्वारा महिलओं से बातचीत कर तैयार किया गया है। 20 नारी सभाओं ने मिलकर रिपोर्ट तैयार किया है। पटना के विभिन्न मोहल्लों जैसे यारपुर, जोगिया टोली, मंदिरी, बुद्धा कॉलोनी सहित दर्ज़नों कॉलोनी में घूम-घूमकर सभी पहलुओं की बारीकी से निरक्षण कर रिपोर्ट बनी है।
डॉ प्रियदर्शी ने बताया कि सर्वेक्षण से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य उभरकर सामने आए हैं। उन्हीं बातों को हम सामने रखेंगे। जहां तक बच्चों को टीकाकरण देने की बात है, लगभग यह सुविधा सभी जगह है। बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सरकार का रवैया बेहद ही निराशाजनक है। अस्पतालों में मामूली दवाई भी उपलब्ध नहीं रहती। अगर कोई बच्चा गंभीर बीमारी से पीड़ित है तो उसका इलाज प्राइवेट अस्पतालों में ही संभव हो सकता है क्योंकि दवाई और सुविधा न के बराबर है। आधुनिक मशीनों के अभाव में औरतें और बच्चों की जांच नहीं हो पाती है। मजबूरन उन्हें दूसरी जगह इलाज और जांच के लिए जाना पड़ता है। पटना के कई मोहल्लों के सरकारी अस्पतालों में मरीज़ों की देखभाल के लिए स्टाफ और नर्सेज भी न के बराबर हैं। इससे मरीज़ों को काफी दिक्कत होती है। जननी सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना और एम्बुलेंस की मुफ्त सुविधा केवल वादे हैं। ज़मीनी सच्चाई से इनका कोई लेनादेना नहीं है।
(मानस दुबे)