AIMIM में टूट से नीतीश खुश, इस वजह से विस अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लानी चाहती है RJD
बिहार की राजनीति में बुधवार को बहुप्रतीक्षित राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिला। दरअसल, लंबे समय से एआईएमआईएम के विधायक राजद में जाने वाले थे। लेकिन, राजनीतिक माहौल न राजद के पक्ष में था, न ही एआईएमआईएम के बागी होने वाले विधायकों के पक्ष में था। इसलिए यह घटना मॉनसून सत्र के चौथे दिन घटी।
सबसे ज्यादा खुश नीतीश!
विधायक के टूटने के बाद यह चर्चा शुरु है कि इन विधायकों के टूटने से राजद तो सबसे बड़ा दल बन गया। लेकिन, सबसे ज्यादा फायदा या सबसे ज्यादा खुशी किस दल को या किस नेता को हुई। जवाब तलाशने के बारिया बातें सामने आई है कि इन विधायकों के टूटने से सबसे ज्यादा खुश नीतीश कुमार हैं।
इस वजह से नीतीश खुश
नीतीश के खुश होने का कारण यह है कि जब वीआईपी के विधायक दल बदलकर भाजपा में शामिल हुए थे, तब यह चर्चा थी कि बिहार में भाजपा बड़ा राजनीतिक उलटफेर कर सकती है। ऐसे में अगर परिस्थितियां भाजपा के पक्ष में जाएगी तो राज्यपाल सबसे बड़ा दल होने के कारण भाजपा को सरकार बनाने का आदेश देंगे। लेकिन राजनीतिक हालात बदलने के साथ इस तरह की चर्चाएं भी ठंडे बस्ते में चली गई है।
अगर बिहार में किसी तरह की राजनीतिक घटनाएं या बड़ा उलटफेर होती है, तो राज्यपाल नियमानुसार राजद को सरकार बनाने का मौका देंगे। क्योंकि, राजद विधानसभा में 80 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। भाजपा 77 विधायकों के साथ दूसरे नंबर पर है। इस प्रकरण के बाद अब नीतीश कुमार को राहत मिली है। क्योंकि, नीतीश नहीं चाहते हैं कि एनडीए में सबसे बड़ा दल होने के नाते भाजपा उन पर दबाव बना सके।
रणनीति के तहत VIP के विधायकों को BJP में कराया गया था विलय
वीआईपी के विधायकों को भाजपा में विलय कराने के पीछे की मंशा यह थी कि अगर भविष्य में कभी राजनीतिक उठापटक होती है, तो कानूनी रूप से सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का मौका मिलेगा। वीआईपी के विधायकों के भाजपा में शामिल होने से पूर्व राजद बिहार विधानसभा में सबसे बड़ा दल था, लेकिन वीआईपी के विधायकों केभाजपा में शामिल होते ही अब भाजपा विधानसभा में सबसे बड़े दल के रूप में थी। लेकिन, अब राजद विधानसभा में सबसे बड़ा दल है।
साम, दाम, दंड-भेद अपना सकती है भाजपा इसलिए अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी में जदयू और राजद
भाजपा सत्ता प्राप्त करने के लिए हर हथकंडे को अपनाने को तैयार थी। भाजपा वह तरीका भी अपना सकती थी, जो तरीका जदयू ने 2014-2015 में अपनाई थी। 2014 के अंतिम में अनुशासनहीनता के आरोप में विधानसभा अध्यक्ष ने कुछ विधायकों को निलंबित किया था, यही स्थिति आज भी बनी हुई है। 2014 में विस अध्यक्ष ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण जदयू के अजीत कुमार (कांटी), पूनम देवी (दीघा), राजू सिंह (साहेबगंज) और सुरेश चंचल (सकरा) को बर्खास्त कर दिया गया था। इन विधायकों का झुकाव मांझी की तरफ था।
इस आशंका को देखते हुए यह चर्चा है कि राजद विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है। इसका सहयोग जदयू भी कर सकता है।
कांग्रेस को लेकर अभी भी अनिश्चितता का माहौल
बहरहाल, अभी भी भाजपा और राजद में सबसे बड़ा दल होने का होड़ मचा हुआ है। क्योंकि, कांग्रेस के विधायकों को लेकर अनिश्चितता का माहौल है। कांग्रेस के विधायक मौका देखते ही दल बदल सकते हैं। कांग्रेस के विधायक सत्ता एनडीए के पास रहता देख भाजपा में जा सकते हैं, तो भाजपा फिर से बिहार में सबसे बड़ा दल बन सकती है। अगर सत्ता राजद के हाथ में जाती है, तो स्वाभाविक है कांग्रेस राजद के साथ गठबंधन में रहेगी।