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क्या बिहार LJP वाला खेला महाराष्ट्र में कर पायेंगे एकनाथ शिंदे? टेंशन में उद्धव

नयी दिल्ली : महाराष्ट्र का सियासी संग्राम आज शुक्रवार को भी किसी मुकाम पर नहीं पहुंचा। हर तरफ टेंशन के बीच उद्धव ठाकरे के विधायक एक-एक कर बागियों के गुट से जुड़ते जा रहे हैं। आज बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे ने कुल 50 विधायकों के अपने साथ होने का दावा किया। इसबीच उद्धव की शिवसेना ने महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर से बागी गुट के 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए खत भेजा है।। आज शाम को ही उद्धव ठाकरे, शरद पवार और डिप्टी सीएम अजित पवार की अहम बैठक हो रही है जिसमें संकट से निकलने की रणनीति तय होगी।

एकनाथ शिंदे के साथ 50 विधायक

उधर सियासी हलकों में यह बहस भी चरम पर है कि क्या एकनाथ शिंदे बिहार में लोजपा में हुए पासा-पलट वाला खेल महाराष्ट्र में दोहराकर बागियों के गुट को ही असली शिवसेना का दर्जा हासिल कर लेंगे। बिहार में पशुपति कुमार पारस ने लोजपा के दो तिहाई विधायकों को अपने पाले में लाकर रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान से समूची लोजपा पार्टी ही अपने नाम कर ली थी और चिराग को बाहर का रास्ता दिखा दिया था।

विधानसभा उपाध्यक्ष जिरवाल बने अहम

महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के सामने बड़ी समस्या ये है कि वहां अभी विधानसभा अध्यक्ष का पद खाली हैं। ऐसे में विधानसभा उपाध्यक्ष की भूमिका काफी अहम हो जाती है। लेकिन विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल एनसीपी के हैं। वे असली शिवसेना का दर्जा पाने में शिंदे के लिए बड़ी अड़चन खड़ी करेंगे। जबकि बिहार में इसके उलट विधानसभा अध्यक्ष और राज्य सरकार के मुखिया नीतीश कुमार का फुल सपोर्ट पशुपति पारस को हासिल था।

विस उपाध्यक्ष का शिंदे और उद्धव ने भेजी चिट्ठी

एकनाथ शिंदे के पक्ष में यह बात जाती है कि बागी विधायकों की पर्याप्त संख्या उनके पास है जो दलबदल कानून से बचने के लिए जरूरी होती है। दलबदल कानून से बचने के लिए उनके साथ 37 विधायक होने चाहिए। इस समय ​शिंदे के साथ शिवसेना के 43 विधायकों समेत कुल 50 विधायक एकजुट हैं। इन विधायकों ने एकनाथ शिंदे को अपना नेता भी चुन लिया है और इस संबंध में राज्यपाल और विधानसभा उपाध्यक्ष को हस्ताक्षरित खत भी भेज दिया है। दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे ने भी विधानसभा उपाध्यक्ष को बागी गुट के 16 एमएलए को अयोग्य घोषित करने का खत भेजा है। अब देखना है कि आने वाले चंद दिनों में महाराष्ट्र का सियासी संग्राम किस करवट रुख लेता है।