बाढ़ : विश्व योग दिवस पर अनुमंडल के विभिन्न जगहों पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। अनुमंडल के व्यवहार न्यायालय परिसर में विश्व योग दिवस पर सभी न्यायिक दण्डाधिकारियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर योग शिविर का शुभारंभ किया। इस योग शिविर में एडीजे प्रथम बालजिन्दर पाल, एडीजे तृतीय राजीब कुमार, एडीजे पांच रबिरंजन मिश्रा, एसीजेएम प्रथम एवं सबजज प्रथम मिथिलेश कुमार, एसीजेएम तृतीय एवं सबजज तृतीय अमित कुमार शुक्ला, एसडीजेएम राजीब रंजन, जेएम प्रथम श्रेणी अविनाश कुमार, मुंसफ समीर कुमार, जेएम प्रथम श्रेणी सुरभित शाही, जेएम प्रथम श्रेणी ऋषभ श्रीवास्तव, जेएम प्रथम श्रेणी राजेश बर्णवाल के अलावे न्यायालयकर्मी एवं कई अधिवक्ताओं ने घण्टों योगाभ्यास किया।
वहीं, अनुमंडल के डाक बंगला सभा कक्ष में योग दिवस के अवसर पर विशेष योगाभ्यास कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में एसडीएम कुंदन कुमार ने कहा कि योग के जरिए लोग निरोग रह सकते हैं तथा इससे मानसिक और शारीरिक लाभ मिलता है। हमें जीवन में कुछ समय योग के लिए देना होगा। मौके पर भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ० सियाराम सिंह, योगाचार्य हरिनारायण प्रधान, सत्येंद्र सिंह, वीना, गोपाल, अमित, सरिता, पूजा शर्मा आदि मौजूद थे। वहां मौजूद लोगों को अनुलोम-विलोम, प्राणायाम एवं योगाभ्यास के फायदों को बताया गया।
उधर बाढ़ बाजार के सरस्वती शिशु मंदिर में विश्व योग दिवस पर योगाभ्यास कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उदघाटन समिति के अध्यक्ष रामअवतार सिंह, कोषाध्यक्ष सज्जन केडिया एवं प्रधानाचार्यअजय कुमार द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर प्रधानाचार्य ने “जीवन में योग क्यों जरूरी है ? इस विषय पर विस्तार से बताते हुये कहा कि आज की भाग- दौड़ भरी जिंदगी में हम अपने लिए समय नहीं
निकल पाते जिसके कारण रोगों का शिकार हो जाते हैं और रोगों से हमें योग ही बचा सकता है। विद्यालय के आचार्य रणजीत कुमार जी ने महर्षि पतंजलि द्वारा स्थापित अष्टांग योग पर चर्चा करते हुए कहा कि अगर हम अष्टाङ्ग योग के नियमों का पालन करते हुए अपना जीवन व्यतीत करें तो हमें कभी भी कष्ट नहीं होगा। मौके पर आचार्य राजू कुमार श्रीवास्तव एवंआचार्यअनिल सागर द्वारा संयुक्त रूप से भैया-बहनों, अथितियों, पूर्व छात्रों को योग सिखाते हुए इसे अपने दैनिक जीवन में उतारने की अपील की। योगाभ्यास कार्यक्रम में आचार्य विद्यानंद पांडेय, आचार्या ऊषाजी सहित सभी आचार्य छात्र-छात्रायें उपस्थित थे।
सत्यनारायण चतुर्वेदी की रिपोर्ट