विधान परिषद चुनाव में बुरी तरह फंसी RJD, तीसरे उम्मीदवार पर ग्रहण
पटना : विधान परिषद की 3 सीटों पर राजद के तरफ से एकतरफा उम्मीदवार उतारे जाने को लेकर कांग्रेस और भाकपा में नाराजगी की स्थिति बनी हुई है। कांग्रेस के नेता अजीत शर्मा का कहना है कि उम्मीदवारों को लेकर उन लोगों से किसी प्रकार का कोई भी सलाह नहीं किया गया। राजद से खुद से तीनों नामों का खुद से एलान कर दिया।
कांग्रेस ने भी जताई नाराजगी
कांग्रेस नेता अजीत शर्मा ने इस मामले में बयान देते हुए कहा कि राजद यह निर्णय गलत है। उनके द्वारा न तो माले और न ही कांग्रेस से बात की गई जबकि हम अभी भी गठबंधन में है। इसलिए अब हमने यह निर्णय लिया है कि यदि माले हमें अपना समर्थन देती है तो कांग्रेस और माले साथ मिलकर चौथा उम्मीदवार उतारेगी।
माले ने पहले ही किया है विरोध
इधर, इससे पहले बीते दिन माले के तरफ से भी उसको लेकर कहा गया था कि यह राजद का असंगत, गंभीर और अन्यायपूर्ण फैसला है। माले ने कहा कि वायदे के मुताबिक विधान परिषद की एक सीट वाम दलों को मिलनी चाहिए।भाकपा माले ने पत्र लिखकर राष्ट्रीय जनता दल के फैसले का विरोध किया है।
इस फार्मूले को पूरा नहीं कर पा रही राजद
बता दें कि,आगामी 20 जुलाई को विधान परिषद की 7 सीटें खाली हो रही हैं। इसके बाद इन सीटों पर एक महीने के अंदर चुनाव होना लगभग तय है। इस चुनाव में किसी भी दल के प्रत्याशियों को 1 सीट जीतने के लिए 31 विधायकों का वोट चाहिए। इस फार्मूले के तहत राजद को अपने तीनों उम्मीदवारों को जिताने के लिए 93 विधायकों का वोट चाहिए। लेकिन, वर्तमान में राजद के पास मात्र 76 विधायक हैं, ऐसे में यदि उसको तीसरा सीट जितना है तो उसे कांग्रेस और वामदलों के 15 विधायकों का वोट लेना होगा।
ये है कांग्रेस और माले का प्लान
इधर, कांग्रेस के पास कुल 19 विधायक हैं,और वाम दलों के पास विधायकों की संख्या 12 है। ऐसे में यदि दोनों आपसी समझौता के साथ उम्मीदवारों को उतारती है तो फिर एक सीट पर उनका कब्जा आसानी से हो सकता है। हालांकि, कांग्रेस और वाम दलों के इस नाराजगी के बाद तेजस्वी यादव ने महागठबंधन की बैठक बुलाई तो जरूर है लेकिन देखने वाली बात यह होगी क्या हुआ अपने समर्थकों को मना पाते हैं, क्योंकि इससे पहले राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने भीमाले को मनाने के लिए कहा है कि जब 2024 का चुनाव होगा तो विधान परिषद का पहला उम्मीदवार माले का होगा।
बहरहाल, अब देखना यह है कि राजद के तीसरे उम्मीदवार चुनाव जीतकर विधान परिषद में जाते हैं या फिर चुनाव हार कर इस चुनावी मैदान से बाहर हो जाते हैं क्योंकि यदि उनको चुनाव जीतना है तो फिर कमलेश और वामदलों को मनाना होगा या फिर इनकी जो मांग है उस पर समर्थन करना होगा।