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नवादा के आलोक रंजन को मिला 346 वां रैंक, 15 वर्षों के अनथक संघर्ष ने दिलाई यूपीएससी में सफलता

– आलोक रंजन ने 346 वां रैंक लाकर, सातवें प्रयास में सफलता प्राप्त की

– बेटे को पढ़ाने के लिए शिक्षक दंपति ने गांव और नवादा के घर बनाने की जमीन बेचे, मां की आंखों से छलके खुशी के आंसू

नवादा : 15 वर्षो के अनथक संघर्ष ने नवादा जिले के आलोक रंजन को सिविल सेवा में सफलता दिलाई. यूपीएससी की परीक्षा में 346 वां रैंक लाकर सातवें प्रयास में यह सफलता प्राप्त की। शिक्षक दंपति के बेटे आलोक रंजन ने लंबे संघर्ष के बाद यह सफलता पाया है। आलोक रंजन के पिता शिक्षक नरेश प्रसाद यादव व मां सुशीला देवी ने कहा कि बेटे ने हमारे मन की मुराद पूरी की है। बचपन से ही सिविल सेवा में जाने का सपना पाल कर वह अपनी पढ़ाई कर रहा था। वर्ष 2007 में मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद मन में सिविल सेवा का संकल्प लेकर वह घर से बाहर निकला था।

राजस्थान के कोटा में इंटरमीडिएट करने के बाद इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी नई दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से बीटेक की डिग्री लेकर 2015 से लगातार वह सिविल सेवा की तैयारी कर रहे थे। पिता नरेश यादव ने कहा कि बेटे की पढ़ाई के लिए वह पहले अपने गांव की जमीन को बेचा तथा बाद में जब पढ़ाई में परेशानी हुई तो नवादा में घर बनाने के लिए खरीदी गई जमीन भी बेच दिये। मां सुशीला देवी के आंखों में खुशी के आंसू दिखे। पत्रकारों के पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए मां सुशीला देवी ने कहा कि उनका सपना पूरा हुआ है। भगवान भोलेनाथ की कृपा से वट पूजा के दिन यह आशीर्वाद दिया है।

सफलता पर लोग गदगद 

आलोक रंजन की सफलता निश्चित ही संघर्ष बड़ी गाथा है। पिछले कई वर्षों से आलोक गांव नहीं जा रहे थे उन्होंने संकल्प लिया था कि जब तक सफलता नहीं मिलेगी गांव नहीं जाएंगे। उनके पिता नरेश प्रसाद यादव उत्क्रमित इंटर विद्यालय नेमदारगंज में सहायक शिक्षक हैं, जबकि मां सुशीला देवी रोह प्रखंड में प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका है। पिता ने बताया कि उनकी बेटी अनुपमा रंजन भी दिल्ली में रहकर सिविल सेवा की तैयारी कर रही है, जबकि छोटे बेटे अमित रंजन उर्फ एके गुरु जिला में विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं।

आलोक रंजन की सफलता पर दादी गौरी देवी तथा दादा रामस्वरूप प्रसाद यादव की खुशी का ठिकाना नहीं है। उनकी इस खुशी में भाजपा नेता रंजीत यादव, कैरियर पॉइंट के निदेशक शिक्षक दिलीप कुमार, उत्क्रमित इंटर विद्यालय नेमदारगंज के प्रभारी प्रधानाध्यापक दयानंद प्रसाद सहित परिवार के अन्य सदस्य काफी खुश दिखे।

गांव के स्कूल से पढ़ाई किया शुरू

आलोक रंजन की प्रारंभिक शिक्षा अपने पिता के साथ रोह प्रखंड के कोशी पंचायत के गोरिहारी गांव के प्राथमिक विद्यालय से हुए। हाई स्कूल की शिक्षा के लिए 2 वर्षों तक हाई स्कूल रोह में एडमिशन कराया। नवमी क्लास में जीवनदीप पब्लिक स्कूल में एडमिशन लिया। जहां से वर्ष 2007 में सीबीएसई से दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद राजस्थान के कोटा से राजस्थान बोर्ड द्वारा आईएससी की परीक्षा पास की। इसके बाद इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से बीटेक की डिग्री ली।

वर्ष 2015 से आलोक रंजन दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे। पिछले छह बार के प्रयास में असफल रहने के बाद शादी में प्रयास में उन्हें यह बड़ी सफलता मिली है। उनके पिता ने कहा कि बेटे के संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी तरफ से कोई कमी नहीं छोड़ी। पति पत्नी के वेतन के पैसे कम पड़ने पर उन्होंने गांव में खेती की जमीन तथा शहर में मकान बनाने के लिए खरीदी गई जमीन को भी बेच दिया। बेटे के जूनून ने उन्हें सफल बनाया है। वर्तमान समय में वीआईपी कॉलोनी में एक किराए के मकान में रह कर गुजारा कर रहे हैं।

सफलता के लिए सही दिशा में संघर्ष जरूरी

आलोक रंजन ने प्रभात खबर से बातचीत करते हुए कहा कि सफलता के लिए मां पिताजी का आशीर्वाद तथा गुरुजनों का मार्गदर्शन काम आया है। सफलता के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा है। सही दिशा में लगातार किया गया संघर्ष और प्रयास कभी विफल नहीं होता है। यूपीएससी परीक्षा के लिए अंतिम प्रयास तक संघर्ष का हमने अपना लक्ष्य बनाया था। सभी के आशीर्वाद से यह सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि जो भी किसी भी परीक्षा में सफलता चाहते हैं इसके लिए पूरी निष्ठा के साथ सही दिशा में प्रयास करने होंगे।

विशाल कुमार की रिपोर्ट