अचल सुहाग की रक्षा हेतु सुहागन औरतों ने की वट सावित्री की पूजा
बट सावित्री व्रत के पावन अवसर पर सभी सुहागन औरतों ने वट सावित्री का व्रत रख गंगा आदि पवित्र नदियों मे स्नान कर बरगद वृक्ष की पूजा अर्चना की और अपने अचल सुहाग की रक्षा हेतु प्रार्थना किया। और अन्न,वस्त्र, फल मिष्टान आदि सामग्रीयो का संकल्प कर दान दिया। स पावन अवसर पर आमी मन्दिर में विशेष रौनक रहा। वहां, गंगा स्नान कर महिलाओं ने सभी प्रकार के श्रृंगार कर माॅ गंगा की पूजा अर्चना कर बट सावित्री का पूजन किया। इसके बाद सिद्धि द्त्री माॅ अम्बिका की आरधना की और अपने पुत्र -पौत्र की प्राप्ति के साॅथ अखंड लक्ष्मी व स्थिर विद्या की प्राप्ति हेतु कामना की।
सनातनधर्मावलंबीयो के पौराणिक मान्यता के अनुसार सति सावित्री ने बरगद वृक्ष के नीचे अपने सत्य व्रत व धर्मराज्य को प्रसन्न कर अपने वृद्ध मृत पति का पुनर जीवन प्राप्त किया और यमराज महाराज के आशीर्वाद से अपने जीवनसाथी को अपने उम्र के सापेक्ष मे यौवन बनाने मे सफलता प्राप्त कर सनातन धर्म मे एक मिशाल कायम किया। कहा जाता है सत्य व धर्म की जीत होती है और करूण पुकार को भगवान जरूर सुनते हैं। सावित्री के इसी ऐतिहासिक जीत के उपलक्ष्य में सभी सनातन सुहागन औरते बट सावित्री व्रत रखती है और अपने पति का आसमयिक निधन से बचाने के लिए बरगद में 108 बार सुत्र लपेटती है और सुहाग की सामग्री, फल मिष्टान पकवान आदि बरगद के वृक्ष को अर्पित कर ब्रहनो को दान देती है।