तत्कालीन प्रधानमंत्री की गलतियों के कारण तिब्बत चीन का गुलाम, आजादी के लिए युवा कर चुके हैं आत्मदाह

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पटना : राजधानी पटना के गोला रोड के पास नीलाम्बर भवन में भारत तिब्बत सहयोग मंच का 23वां स्थापना दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता महिला विभाग की प्रांतिय उपाध्यक्ष नीलम चन्द्रवंशी ने किया।वहीं, इस मौके उपस्थित भारत तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय मंत्री शिवाकांत तिवारी ने कहा कि इस मंच की स्थापना चीन के क्रुर नीतियों के विरोध में किया गया था। उन्होंने बताया कि,23 वर्ष पहले हिमाचल के धर्मशाला में संघ के वरिष्ठ प्रचारक  इंद्रेश जी, दलाई लामा एवं अन्य संघ के वरिष्ठ लोगो के विचारों से इस मंच की स्थापना हुई थी।

इसके आगे उन्होंने बताया कि, वर्तमान में यह मंच तीन मुद्दों पर पुरे देश में काम कर रहा है। जिसमें पहला मुद्दा तिब्बत की आजादी, दूसरा मुद्दा कैलाश मानसरोवर की मुक्ति है, तीसरा और अंतिम मुद्दा चीन में बने समानों को भारत में विरोध करना है।

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1950-52 तक तिब्बत स्वतंत्र

इसके साथ ही इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व विधान पार्षद सदस्य सह भारत तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य बालेश्वर सिंह भारती ने कहा कि 1950-52 तक तिब्बत स्वतंत्र था। लेकिन, तत्कालीन प्रधानमंत्री के गलत्तियों के कारण तिब्बत चीन का गुलाम हो गया। जिसके बाद चीन ने तिब्बत में नरसंहार किया है। बस यही कारण है कि तिब्बत की आजादी को लेकर भारत चिंतित है। इसको लेकर ही यह मंच बनाया गया है। यह मंच  23 वर्ष का हो गया है। इसके आगे उन्होंने बताया कि भारत-तिब्बत मंच का 25वां स्थापना दिवस हिमाचल के धर्मशाला में मनाया जाएगा। गौरतलब हो कि, हर वर्ष मंच द्वारा गौहाटी से चीन के बोर्डर तवांग तक यात्रा की जाती है।

वहीं, मंच के प्रांतीयअध्यक्ष मिथिलेश कुमार ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते है कि सबका साथ सबका विकास। मंच के सारे कार्यकर्ता द्वारा चलाए जा रहे जनजागरण अभियान से तिब्बत आजाद भी होगा एवं कैलाश मानसरोवर मुक्त भी होगा।

विश्व के व्यापार में भारत का हिस्सा 30 प्रतिशत

जबकि समारोह को संबोधित करते हुए प्रज्ञा प्रवाह के प्रांतिय संयोजक कृष्णकांत ओझा ने कहा कि विश्व के व्यापार में भारत का हिस्सा 30 प्रतिशत होता है। भारत ज्ञान का संग्रह है। वेद की रचनाएं तिब्बत में हुआ है। तिब्बत की संस्कृति संकट में है। तिब्बत ज्ञान का केंद्र था। जबकि चीन संपूर्ण मानवता का विरोधी हो गया है।

बता दें कि,इस मंच द्वारा देश के सभी प्रदेशों में लगातार जनजागरण अभियान चलाया जा रहा है। जानकारी हो कि, तिब्बत के मुद्दे पर अमेरिका और ब्रिटेन सहित विश्व के कई देश चितिंत है। लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चीन से तिब्बत को आजादी करने की मांगे उठ रही है। वहीं, तिब्बत की आजादी को लेकर लगभग 73 तिब्बती युवा आत्मदाह कर चुके है।

कार्यक्रम का संचालन प्रो. मुकेश ओझा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन मनिष झा ने किया। जबकि इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से कृष्ण कुमार गुप्ता, नरेश महतो, राकेश ठाकुर, आलोक सिन्हा, सुनीता सिन्हा, अनिता सिंह, माला सिन्हा, ममता साह, नमोनारायण सिंह, रामनारायण पाठक, परदीप मिश्रा, अशोक कुणाल, अमरेन्द्र ओझा, तारकेश्वर राम तुफानी सहित सैकड़ों कार्यकर्त्ता उपस्थित रहे।

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