राजनीति और पेशेवर समाज सेवा का कॉकटेल बनाना चाह रहे PK, नीतीश से नहीं कोई विवाद
पटना : चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के सक्रिय राजनीति में आने की बातों से बिहार की सभी राजनीतिक दलों में हलचल सी उठ गई थी। सभी राजनीतिक दलों में अंदरूनी बैठक कर पीके के इस प्लान पर नया नीति बनाने पर चर्चा शुरू हो गई थी। इसी बीच प्रशांत किशोर ने गुरुवार को पत्रकार वार्ता कर सब कुछ स्पष्ट कर दिया।
गांधी की तरह वह भी समाजसेवा के रूप में लोगों से जुड़ना चाहते हैं
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने गुरुवार को पत्रकार वार्ता के दौरान अपने पीछे गांधी की तस्वीर लगाए हुए थे, इस तस्वीर के माध्यम से यह कहना चाहते थे कि गांधी की तरह वह भी समाजसेवा के रूप में लोगों से जुड़ना चाहते हैं लेकिन हकीकत यह है कि प्रशांत किशोर के पास गांधी की तरह कोई स्पष्ट नजरिया नहीं है, बल्कि यह इस तस्वीर का उपयोग कर राजनीति और समाजसेवा का एक नया कॉकटेल तैयार करना चाहते हैं। इस बात का साफ़ प्रमाण इससे मिलता है कि वे कहते है फिलहाल सक्रिय राजनीति में नहीं आ रहे हैं, लेकिन इनको निकट भविष्य में राजनीति में आने से इंकार भी नहीं।
प्रशांत किशोर ने अपने नए इस नए गांधीवादी मिशन के तहत बिहार की जनता से बिहार में बदलाव लाने का आवाहन किया। इसको लेकर पीके ने कहा कि वे अपने सुराज की परिकल्पना के तहत बिहार में बदलाव के वाहक बनने की कोशिश करेंगे।
इसके आगे उन्होंने कहा कि फिलहाल वे लोगों से मिलकर अपने जन सुराज की बात समझाएंगे। बिहार के जन-जन तक पहुंचने की कोशिश करेंगे। पीके ने कहा कि वे लोगों का विश्वास जीतेंगे। जिन्हें डाउट है, वे उन्हें एक मौका दें।
पीके ने कहा कि वे अपने जन सुराज की परिकल्पना के तहत राज्य में घूमकर लोगों से मिलेंगे। पीके अपने इस यात्रा की शुरुआत पश्चिम चंपारण से 2 अक्टूबर को करेंगे। जिसके तहत वो बिहार के जल-जन तक पहुंचकर लोगों से बात करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने सबसे बड़ी बात यह कही की उनके सुझावों के आधार पर यदि लोग पार्टी बनाना चाहेंगे तो लोगों के साथ एक ईंट उनकी भी लगेगी।
नीतीश कुमार मिलने के लिए बुलाते हैं तो वे जरूर जाएंगे
इधर,मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर उन्होंने कहा कि उनसे कोई झगड़ा नही है। यदि नीतीश कुमार मिलने के लिए बुलाते हैं तो वे जरूर जाएंगे। हालांकि, उन्होंने लालू और नीतीश राज पर हमला बोलते हुए कहा कि लालू और उनके समर्थकों का मानना है कि लालू राज में सामाजिक न्याय की बात हुई, उन्होंने पिछड़ों को आवाज दी। नीतीश कुमार और उनके समर्थकों का मानना है कि उनके काम में सामजिक न्याय के साथ विकास हुआ है। दोनो दावों में कुछ सच्चाई जरूर है, लेकिन यह भी सच है कि बिहार सबसे पिछड़ा राज्य है। बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य व्यवस्था ध्वस्त है।
इसके अलावा बिहार में जाति की राजनीति को लेकर उन्होंने आंकड़ों का हवाला देकर कहा कि बिहार में केवल जातीय समीकरण से वोट नही पड़ते। अगर ऐसा होता तो पीएम मोदी को सबसे ज्यादा वोट नहीं मिले होते।
बिहार को आगे बढ़ाने के लिए नई सोच और नए प्रयास की जरूरत
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार को आगे बढ़ाने के लिए नई सोच और नए प्रयास की जरूरत है। अगर बिहार के सब लोग मिल कर नई सोच को आगे नही बढ़ाएंगे बिहार आगे नही बढ़ सकता है। बिहार के लोगो को बदलाव के लिए आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि अब तक पांच महीनों में 17 हज़ार से अधिक लोगो से उन्होंने संपर्क स्थापित किया है। अब उन सबों से मुलाकात करूंगा। पिछले तीन दिनों में भी 150 से अधिक लोगो से मिला हूं। अगले तीन-चार महीने में 17- 18 हज़ार लोगो से मिलकर जन सुराज पर चर्चा करनी है।