पर्यावरण सरंक्षण को लेकर कानून प्रभावी नहीं, जागरूकता जरूरी

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जलवायु परिवर्तन : एक सामाजिक आपदा

पटना : विश्व पृथ्वी दिवस को लेकर पटना के गांधी संग्रहालय में गूंज द्वारा परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस चर्चा में रमन मैग्सेसे पुरस्कार से पुरस्कृत अंशु गुप्ता मुख्य अतिथि थे। परिचर्चा के दौरान अंशु गुप्ता द्वारा आपदा पर आधारित ली गई तस्वीरों की प्रदर्शनी लगाई गई। इस प्रदर्शनी में अंशु गुप्ता द्वारा खींची तस्वीरों के माध्यम से पिछले तीस वर्षों के दौरान आई आपदाओं को करीब से देखने और समझने का मौका मिलेगा।

बता दें कि अंशु की इस यात्रा की शुरूआत वर्ष 1991 में हुई, जब वे भारतीय जनसंचार संस्थान में पढ़ाई कर रहे थे। तब से लेकर आज तक अंशु ने बहुत सारी आपदाओं को करीब से देखा है और उस पर काम किया है। अंशु फोटोग्राफी के आपदा बीट में कार्यरत रहें हैं।

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फोटो प्रदर्शनी                                                                         तस्वीर : खुशबू कुमारी

इस तरह करें जल का संरक्षण

पानी मैनेजमेंट की समस्या को लेकर अंशु ने बताया कि भारत एक बड़ा देश है, जिसकी जनसंख्या लगभग 130 करोड़ के आस-पास है। इतनी बड़ी आबादी वाले देश में लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि पानी की समस्या एक बड़ी समस्या है, जो अब आपदा का रूप ले चुकी है।

इसके साथ ही उन्होनें कहा कि वर्तमान परिवेश में जल का संरक्षण करना अत्यधिक जरूरी है। इसको लेकर उन्होंने तमाम तरह के उपायों के बारे में भी बताया। वर्षा जल का संरक्षण, गांवों में तलाबों का निर्माण, जल की कम से कम बर्बादी इत्यादी का उदहारण दिया।

प्लास्टिक से होती है जलजमाव की समस्या और फैलती है कई बीमारियां

प्लास्टिक के मुद्दे पर अंशु ने बताया कि पिछले 15 से 20 वर्षों में प्लास्टिक हमारे जनजीवन का ऐसा हिस्सा बन गया है कि हम उससे होने वाली समस्याओं को देख नहीं पा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारत में लगभग हर व्यक्ति प्रतिदिन कम-से-कम 2 प्लास्टिक का इस्तेमाल जरूर करता है। और फिर उसे ही कचरे के रूप में बाहर फेंका जाता है। जिससे वह हमारे स्वच्छ वातावरण को दूषित करता है। अंशु ने प्लास्टिक से होने वाली समस्याओं को भी गिनवाया, जिसमें उनहोंने कहा कि प्लास्टिक नालियों में फंसकर पानी के निकास को रोक देती है और यही जल-जमाव का कारण बनती है, फिर उसी से कई प्रकार की बीमारियां भी उत्पन्न होती है।

कानून प्रभावी नहीं, जागरूकता जरूरी

सरकार को कड़े कानून बनाने चाहिए के सवाल पर अंशु ने बताया कि सिर्फ सरकार के कानून बनाने से लोगों की मानसिकता में बदलाव नहीं आएगा। लोगों को अपनी मानसिकता में बदलाव लाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि यह समस्या हमारे द्वारा ही उत्पन्न हुई है और हमें इन समस्याओं को झेलने की आदत पड़ गई है, तो इसका निवारण भी हमारे द्वारा ही संभव है।

फोटो प्रदर्शनी                                                              तस्वीर : खुशबू कुमारी

सौरव झा

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