प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना आज़ादी के अमृत अमृत महोत्सव को लेकर बिहार में बड़ा आयोजन होने जा रहा है। इस आयोजन को लेकर केंद्रीय नेतृत्व की नजर बिहार पर है। पूरी तन्मयता से बिहार भाजपा इस कार्यक्रम को सफल बनाने में जुटी है। ऐसे समय बिहार भाजपा के दिग्गज नेता सुशील कुमार मोदी ने भाजपा और एनडीए की स्थिति को लेकर अहम बयान जारी किए हैं। सुमो के इस बयान को राजनीतिक व सांगठनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वहीं, सूत्रों की मानें तो सुमो के इस बयान के बाद बिहार भाजपा का प्रदेश नेतृत्व सकते में है।
स्थायी प्रभाव डालने वाला है आधार वोट बैंक का खिसकना
भाजपा को लेकर एक बात सार्वजनिक है कि पार्टी में गुटबाजी तभी तक बर्दाश्त होता है, जब तक संगठन में लंबे समय तक नुकसान न हो, जब संगठन का नुकसान का आभास होने लगता है तब कोई न कोई नेता सामने आकर मुखरता से पूरी स्थिति को स्पष्ट कर देता है।
इसी कड़ी में भाजपा में संयम और सावधानी बरतने वाले नेता माने जाने वाले सुशील मोदी ने जो बयान दिया है उसका मतलब यह निकाला जा रहा है कि अभी जो पार्टी के अंदर स्थिति बनी हुई है, इस वजह से भाजपा का आधार वोट बैंक का क्षति होने वाला है। यह क्षति स्थायी प्रभाव डालने वाला होगा।
अतिपिछड़ा और सवर्ण समाज के एक वर्ग का वोट खिसक जाना अप्रत्याशित
बता दें कि बीते दिन सुमो ने ट्वीट कर कहा था कि बिहार विधान परिषद की 24 सीटों पर हुए चुनाव में एनडीए को दस सीटों का नुकसान और फिर विधानसभा के बोचहा उपचुनाव में एनडीए उम्मीदवार का 36 हजार मतों के अंतर से पराजित होना हमारे लिए गहन आत्मचिंतन का विषय है। एनडीए नेतृत्व इसकी समीक्षा करेगा, ताकि सारी कमियांँ दूर की जा सकें।
बोचहां विधानसभा क्षेत्र की एक-एक पंचायत में एनडीए विधायकों-मंत्रियों ने जनता से सम्पर्क किया था। पूरी ताकत लगायी गई थी। सरकार ने भी सभी वर्गों के विकास के लिए काम किये और सबका विश्वास जीतने की कोशिश की। इसके बाद भी एनडीए के मजबूत जनाधार अतिपिछड़ा वर्ग और सवर्ण समाज के एक वर्ग का वोट खिसक जाना अप्रत्याशित था। इसके पीछे क्या नाराजगी थी, इस पर एनडीए अवश्य मंथन करेगा।
वक्त रहते कमजोरियों और शिकायतों को दूर करना होगा
वर्ष 2019 के संसदीय चुनाव में एनडीए के घटक दलों ने पूरे तालमेल से एक-दूसरे को जिताने के लिए मेहनत की थी, जिससे हमारा स्ट्राइक रेट अधिकतम था। गठबंधन के खाते में राज्य की 40 में से 39 सीटें आयी थीं, जबकि राजद सभी सीटें हार गया था।
बिहार विधान परिषद की 24 सीटों पर चुनाव और विधानसभा की बोचहा सीट पर उपचुनाव में एनडीए के घटक दलों के बीच 2019 जैसा तालमेल क्यों नहीं रहा, इसकी भी समीक्षा होगी।अगले संसदीय और विधानसभा चुनाव में अभी इतना वक्त है कि हम सारी कमजोरियों और शिकायतों को दूर कर सकें।
बिहार भाजपा की ड्राइविंग सीट पर बैठना चाहते हैं सुमो?
बहरहाल, शाह के बिहार दौरे से पूर्व सटीक समय पर भाजपा और एनडीए की वर्तमान स्थिति को स्पष्ट कर सुमो संकेत देने के साथ-साथ बिहार भाजपा की ड्राइविंग सीट पर बैठना चाहते हैं। क्योंकि, एक गुट ने एकतरफा निर्णय लेकर विधान परिषद चुनाव से लेकर बोचहां चुनाव तक पार्टी का बेइज्जती करा चुके हैं। ऐसे में शासन तथा संगठन के बीच विरोधाभास को खत्म करने हेतु कहीं बाजी सुमो के पक्ष में न आ जाए।