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21 अप्रैल : आरा की मुख्य खबरें

डीआरडीए के निदेशक ने किया लौहर श्रीपाल विद्यालय का निरीक्षण

आरा : भोजपुर जिला के बड़हरा प्रखंड अंतर्गत मानिक सिंह मध्य विद्यालय लौहर श्रीपाल तथा प्राथमिक विद्यालय लौहर श्रीपाल का ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक ने निरीक्षण ने किया। डीआरडीओ के निदेशक ने विद्यालय में उपस्थित शिक्षकों की पंजी, नामांकित बच्चों की पंजी, उपस्थित बच्चों के पंजी तथा मध्याह्न भोजन की व्यवस्था की जांच की। इस निरीक्षण के दौरान प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी जयप्रकाश भी मौजूद थे।

स्थानीय लोगों ने बताया कि विद्यालयों का निरीक्षण प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी नहीं करते हैं। खवासपुर पंचायत के दर्जनों लोगों ने बताया कि प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी खवासपुर के एक विद्यालयों का भी निरीक्षण नहीं किया है। जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति करते आ रहे हैं।

सरैंया बाजार में 35 हजार रुपया की लूट

आरा : भोजपुर जिला के बड़हरा प्रखंड के कृष्णगढ़ थानान्तर्गत सरैंया बाजार में आज दोपहर एसबीआई बैंक से रुपया की निकासी कर घर जा रहे ग्राहक से दुर्गा मंदिर के समीप पिस्टल के बल पर अपराधियों ने 35 हज़ार रूपये लूट लिए। दूसरी तरफ पुलिस अपराधी को पकड़ने की जगह थाना सीमा विवाद को लेकर आपस मे उलझती रही। अपराधी रुपया लेकर बाइक द्वारा आराम से भागने में सफल रहा है। इस सम्बन्ध में मुफस्सिल थाना में अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है ।

सिन्हा ओपी क्षेत्र के चंदा गाव निवासी विश्वनाथ तिवारी के 30 वर्षीय पुत्र मंतोष कुमार तिवारी सरैंया बाजार स्थित भारतीय स्टेट बैंक में रुपया का निकासी करने आया था| वह अपने खाता से 35 हजार रुपये की निकासी कर अपने घर जाने के लिए बाजार स्थित दुर्गा मंदिर के पास पहुचा तो वहां एक युवक ने पिस्टल का भय दिखाकर थैला में रखा सभी रुपया सहित मोबाइल व आधार कार्ड छीन कर भाग गया।

पीड़ित युवक अपने गाव में ही आधार कार्ड के जरिये बैंक के ग्राहकों का निर्धारित रुपये का लेंन देंन का काम करता है । युवक जब रुपये लूटने की खबर देने कृष्णगढ़ थाना पहुचा तो वहां उपस्थित पुलिस पदाधिकारी द्वारा घटना क्षेत्र को मुफस्सिल थाना क्षेत्र में बताते हुए उसे वहां जाने की सलाह दी।

सरैंया बाजार स्थित दुर्गा मंदिर के पास दिनदहाड़े एक युवक से रुपये लूटने को लेकर दुकानदारो व राहगीरों का कहना है कि पुलिस अगर सूचना मिलने के बाद कार्रवाई करती तो शायद लुटेरा पकड़ा जाता व लूट के सभी रुपये बरामद हो जाते लेकिन पुलिस सीमा विवाद में उलझ कर रह गई।

इसके पहले भी कई बार उचक्कों ने स्टेट बैंक परिसर व उसके बाहर से ग्राहकों का निकासी कर जा रहे रुपया को उनके थैला में ब्लेट मारकर व पॉकेटमारी कर भारी रकम गायब की है लेकिन आजतक इस काम मे संलिप्त उचक्के पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं|

जिला जज ने की बैठक

आरा : भोजपुर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ब्रजेश कुमार मालवीय के प्रकोष्ठ एवं उनकी अध्यक्षता में आज विभिन्न न्यायालयों में लंबित बीमा कंपनी के अधिवक्ता के साथ राष्ट्रीय लोक अदालत दिनांक 14 मई , 2022 के सफलतापूर्वक आयोजन हेतु बैठक की गई| इस बैठक में जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव सह अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, श्री रंजीत कुमार ने वादों के अधिक से अधिक निष्पादन हेतु चर्चा की।

रंजीत कुमार ने उपस्थित सभी बीमा कंपनी के अधिवक्तागण एवं इंश्योरेंस कंपनी से आए पदाधिकारी से राष्ट्रीय लोक अदालत में अधिक से अधिक वादों का निष्पादन हेतु निर्देश दिया। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी पक्षकारगण के सुलहनीय वाद में अधिवक्ता नियुक्त नहीं है और पक्षकारगण वाद सुलह करना चाहते हैं तो वे सीधे जिला विधिक सेवा प्राधिकार के कार्यालय में संपर्क कर अपने वाद का निशुल्क निष्पादन सुलह के आधार पर कर सकते हैं|

उन्होंने आगे बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत का व्यापक प्रचार-प्रसार हो इसके लिए पारा विधिक स्वयंसेवक की टीम द्वारा भी इसका प्रचार प्रसार व्यापक तौर पर कर रहे हैं और राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार, नई दिल्ली की योजनाओं के साथ आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत के संबंध में भी लोगों को जानकारी दे रहे हैं। मौके पर बीमा के अधिवक्ता मिहिर कुमार सिन्हा, आनंद मोहन, सुधीर जी सहाय, के साथ अन्य लोग उपस्थित थे।

वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव में शामिल होंगे गृह मंत्री अमित शाह

आरा : भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के महानायक एवं भोजपुर जिला के गौरव बाबू वीर कुंवर सिंह के विजयोत्सव में 23 अप्रैल को जगदीशपुर में गृहमंत्री अमित शाह भी श्रद्धांजलि अर्पित करने आएंगे। कुंवर सिंह ने 80 साल की उम्र में अंग्रेजों के खिलाफ 15 लड़ाइयां लड़ी थीं और गोली से जख्मी अपनी बाह खुद अपनी तलवार से ही काटकर गंगा को समर्पित कर दिया था|

उज्जैनिया क्षत्रियों के वंशज बाबू साहबजादा सिंह एवं माता पंचरत्न कुंवर के पुत्र वीर बाकुंडा बाबू कुंवर सिंह थे। जगदीशपुर के लोग बताते हैं कि कुंवर सिंह बचपन से ही वीर थे। बंदूक चलाने और घोड़ा दौड़ाने का शौक बचपन से ही था। वह छुरी-भाला और कटारी चलाने का भी अभ्यास करते रहते थे।

साल 1857 के विद्रोही नेताओं में युद्ध विद्या की कला की योग्यता रखने वाले कुंवर सिंह ने छोटी सी सेना और बहुत कम साधन के बलबूते ही अपनी मिट्टी की रक्षा की थी। 80 साल की उम्र में जिस तरीके से वह तलवार चलाते थे कि उसका लोहा अंग्रेज भी मानते थे। 1857 के नवंबर महीने में कानपुर के युद्ध में बाबू कुंवर सिंह की एक महती भूमिका रही थी। इस दौरान इन्होंने तात्या टोपे, नवाब अली बहादुर, नवाब तफज्जुल हुसैन और राय साहब पेशवा के अधीन फिरंगियों से लोहा लिया था। इस वीर महानायक ने 26 मार्च 1858 को आजमगढ़ पर पूर्ण रूप से कब्जा कर लिया था। जिसकी गाथा सुनकर आज भी युवाओं में जोश भर देता है।

27 अप्रैल 1857 को दानापुर के सिपाहियों, भोजपुरी जवानों और अन्य साथियों के साथ आरा नगर पर बाबू वीर कुंवर सिंह ने कब्जा जमा लिया था। अंग्रेजों की लाख कोशिशों के बाद भी भोजपुर चार दिनों तक स्वतंत्र था। ब्रिटिश इतिहासकार होम्स ने बाबू वीर कुंवर सिंह बारे में लिखा है कि ‘उस बूढ़े राजपूत ने ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध अद्भुत वीरता और आन-बान के साथ लड़ाई लड़ी। यह गनीमत थी कि युद्ध के समय कुंवर सिंह की उम्र 80 के करीब थी। अगर वह जवान होते तो शायद अंग्रेजों को 1857 में ही भारत छोड़ना पड़ता।’

2 अगस्त 1857 को मेजर आयर से सेना की भिड़ंत आरा के बीबीगंज के निकट हो गई। इस युद्ध में बाबू कुंवर सिंह के पास सीमित सेना थी। सीमित सेना होने के बाद भी बाबू कुंवर युद्ध से पीछे नहीं हटे और युद्ध किया, लेकिन सीमित सेना होने के कारण इस युद्ध में शिकस्त मिली। कुंवर सिंह स्त्रियों और सैनिकों के साथ महल से निकल गए। मेजर आयर का जगदीशपुर पर कब्जा हो गया।

20 अप्रैल 1858 को आजमगढ़ पर कब्जे के बाद रात में कुंवर सिंह बलिया के मनियर गांव पहुंचे थे। 22 अप्रैल को सूर्योदय की बेला में शिवपुर घाट बलिया से एक नाव पर सवार हो गंगा पार करने लगे। इस दौरान अंग्रेजों की गोली उनके बांह में लग गई। इसके बाद उन्होंने यह कहते हुए कि ‘लो गंगा माई!

तेरी यही इच्छा है तो’ खुद ही बांए हाथ से तलवार उठाकर उस झूलती हाथ को काट गंगा में प्रवाहित कर दिया था। उस दिन बुरी तरह घायल हो गए थे। 23 अप्रैल को उन्होंने आरा कचहरी पर कब्जा कर लिया और जगदीशपुर किले से “यूनियन जैक” नाम का झंडा उतार कर ही दम लिया। हालांकि, बाद में वे अपने हाथ के गहरे जख्म को सहन नहीं कर पाए। अगले ही दिन 26 अप्रैल 1858 को वे मातृभूमि की रक्षा करते हुए शहीद हो गए।

अमृत महोत्सव की आड़ में कुंवर सिंह की विरासत को हड़प लेने की साजिश का करें विरोध : माले

आरा : देश की आजादी के 75 साल के बाद दुर्भाग्य से इस समय सत्ता में ऐसे लोग बैठे हैं जिनका आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं रहा. यहां तक कि इनलोगों ने हर कदम पर अंग्रेजों का ही साथ दिया। ये गोलवारकर, गोडसे की पूजा करने वाले और 1857 के गद्दार डुमरांव महाराज की मूर्ति स्थापित करने वाले हैं। इनका आजादी के साथ गद्दारी करने का इतिहास रहा है। इन्हीं गद्दारों की वजह से 1857 के पहले स्वतंत्रता आंदोलन में हमें हारना पड़ा इस लिए नैतिक अधिकार नहीं है कि ये 1857 के नायक बाबू कुँवर सिंह को माल्यार्पण करें।

तरारी विधानसभा क्षेत्र से भाकपा माले के विद्याका सुदामा प्रसाद ने कहा कि 23 अप्रैल को सत्ता व जनता की गाढ़ी कमाई का दुरूपयोग करते हुए आयोजित इस भाजपाई कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह आ रहे हैं. अमित शाह का इतिहास क्या है? सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करके देश में उन्माद पैदा करना ही इनका पेशा रहा है. आज देश मे रामनमी, हनुमान यात्रा के नाम पर सांप्रदायिक माहौल बनाया जा रहा है।

कहीं मस्जिद मे सूअर टांगे जा रहे है तो कहीं मजार तोड़े जा रहें हैं। ऐसे में देश को सांप्रदायिक हिंसा की आग में झुलसा देने वाले भाजपाइयों को बाबू कुंवर सिंह का नाम लेने का कोई नैतिक अधिकार नही है। बाबू कुंवर सिंह तो हिंदू-मुस्लिम एकता के सबसे बड़े समर्थक थे। 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में हिन्दुओं व मुसलमानों के बीच बनी एकता बाद में भी हमारे स्वतंत्रता आंदोलन की आधारशिला बनी रही। ऐसी एकता के प्रबल समर्थक बाबू कुंवर सिंह को दंगाई-भाजपाईयों के हाथों कभी हड़पने नहीं दिया जाएगा।

कुँवर सिंह ने जिस आजादी की लड़ाई लड़ी थी उसमे सपना था की सभी को समानता के साथ शिक्षा–रोजगार मिले, मान सम्मान की गारंटी हो लेकिन आज देश की संप्रभुता को बेचा जा रहा है, देश आज फिर से गुलामी की ओर बढ़ रहा है। इस लिए भाजपा को ये नैतिक अधिकार नही है की कुँवर सिंह को माल्यार्पण करने। भाजपा का ये अपना कार्यक्रम है। यह लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी के लिए किया जा रहा है लेकिन इस में सरकारी पैसा का दुरुपयोग किया जा रहा है जो की निंदनीय है।

बाबू कुंवर सिंह ने जिस लड़ाई का नेतृत्व किया, वह एक नए भारत के निर्माण की लड़ाई थी. इसलिए भाजपा द्वारा उनकी महान विरासत, उनके सपनों व आदर्शों को हड़प लेने की साजिशों का हर स्तर पर विरोध करेंगे। इसके खिलाफ 22 अप्रैल को भोजपुर के हर चट्टी–बाज़ार पर इसका विरोध प्रदर्शन करेंगे। 23 अप्रैल को 11 बजे से पूर्वी रेलवे गुमटी से एक मार्च निकाल कर कुँवर सिंह पार्क में माल्यार्पण किया जाएगा।

पूरे देश को मुस्लिम विरोधी सांप्रदायिक हिंसा की आग में झोंकने की साजिश को नाकाम करें

आरा : राजू यादव, केंद्रीय कमिटी सदस्य एवं दिलराज प्रीतम, नगर सचिव भाकपा–माले ने कहा कि 23 अप्रैल का दिन हमारे देश और खासकर शाहाबाद के इतिहास का एक अविस्मरणीय दिन है, जब अंग्रेजों की क्रूरता के खिलाफ उठ खड़े हुए 1857 के महायुद्ध में बाबू कुंवर सिंह के नेतृत्व में जगदीशपुर के निकट अंग्रेजों को बुरी तरह पराजित किया गया था और कुछ समय के लिए शाहाबाद से अंग्रेजों की सत्ता उखाड़ फेंकी गई थी. लेकिन एक तरफ यदि अंग्रेजों के खिलाफ मुक्ति की लड़ाई के करोड़ों दीवाने थे, तो दूसरी ओर 1857 के गद्दारों की भी कमी नहीं थी।

अंततः इन्हीं गद्दारों की वजह से 1857 के पहले स्वतंत्रता आंदोलन में हमें हारना पड़ा। आज देश आजादी के 75 साल से गुजर रहा है. दुर्भाग्य से इस समय सत्ता में ऐसे लोग बैठे हैं, जिनका आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं रहा। यहां तक कि इनलोगों ने हर कदम पर अंग्रेजों का ही साथ दिया और आज पूरे इतिहास को उलट-पुलट देने की साजिश तथा स्वतंत्रता आंदोलन के गर्भ से निकले मूल्यों की हत्या करने पर तुले हुए हैं।

इतिहास को हड़प लेने की इस साजिश के तहत आजादी के अमृत महोत्सव की आड़ में भाजपाई इस बार बाबू कुंवर सिंह को निशाना बना रहे हैं। यही भाजपाई 1857 के गद्दार डुमरांव महाराज की प्रतिमा भी बनवा रहे हैं। बाबू कुंवर सिंह की मौत के बाद उनकी संपत्ति के एक बड़े भाग को अंग्रेजों ने इनाम स्वरूप डुमरांव महाराज को सुपुर्द किया था, जिन्होंने हर कदम पर अंग्रेजों का साथ दिया था. भाजपाइयों कान खोल कर सुन लो, गद्दार और क्रांतिकारी एक सांचे में कभी फिट नहीं किए जा सकते।

23 अप्रैल को सत्ता व जनता की गाढ़ी कमाई का दुरूपयोग करते हुए आयोजित इस भाजपाई कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह आ रहे हैं. अमित शाह का इतिहास क्या है? सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करके देश में उन्माद पैदा करना ही इनका पेशा रहा है. देश को सांप्रदायिक हिंसा की आग में झुलसा देने वाले भाजपाइयों को बाबू कुंवर सिंह का नाम लेने क्या नैतिक हक है? बाबू कुंवर सिंह तो हिंदू-मुस्लिम एकता के सबसे बड़े समर्थक थे। उनके पत्र संवाद जहानाबाद के 1857 के नेता जुल्फीकार अली से थे. जिससे जाहिर होता है कि उस युद्ध में हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच अभूतपूर्व एकता थी। ये सभी क्रांतिकारी अंग्रेजों के खिलाफ एक व्यापक मोर्चाबंदी की चर्चा किया करते थे।

1857 के पहली लड़ाई में हिन्दुओं व मुसलमानों के बीच बनी एकता बाद में भी हमारे स्वतंत्रता आंदोलन की आधारशिला बनी रही। ऐसी एकता के प्रबल समर्थक बाबू कुंवर सिंह को दंगाई-भाजपाईयों के हाथों कभी हड़पने नहीं दिया जाएगा. शाहाबाद की धरती ऐसे दंगाई मिजाज के लोगों को कभी स्वीकार नहीं करेगी. अभी कुछ दिन पहले भोजपुर में बाबू कुंवर सिंह की प्रपौत्र की निर्ममता से हत्या भी कर दी गई. शहीदों के परिजनों के प्रति सरकार का क्या नजरिया है, यह किसी से छिपा हुआ नहीं है।

साथियो, बाबू कुंवर सिंह ने जिस लड़ाई का नेतृत्व किया, वह एक नए भारत के निर्माण की लड़ाई थी. इसलिए भाजपा द्वारा उनकी महान विरासत, उनके सपनों व आदर्शों को हड़प लेने की साजिशों का हर स्तर पर विरोध करना हम सभी का फर्ज बनता है. कुंवर सिंह को याद करने का मतलब है – हिन्दुओं-मुसलमानों और सभी धर्मावलंबियों की एकता पर आधारित एक धर्मनिरपेक्ष व लोकतांत्रिक भारत के ढांचे पर हो रहे हमले के खिलाफ उठ खड़ा होना। आइए, कुंवर सिंह की महान विरासत की रक्षा में हम सब एक दूसरे का साथ दें।

कुँवर पुष्पा सिंह करेंगी की कार्यक्रम का विरोद्ध

आरा : बाबू कुँवर सिंह की पौत्रबधू कुँवर पुष्पा सिंह ने अपने पुत्र रोहित सिंह उर्फ़ बबलू सिंह की पुलिस द्वारा पीटकर ह्त्या किये जाने पर बिहार सरकार के न्याय की मांग करते हुए कहा कि सरकार बाबू कुँवर सिंह के प्रपौत्र की ह्त्या को दबाना चाहती है जिसे वे और पूरा समाज बर्दाश्त नही करेगा| जिस कुँवर सिंह ने देश की रक्षा हेतु अंग्रेजों से युद्ध किया और शहादत दी, उनके ही वंशज स्वतंत्र भारत में न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं।

पुष्पा सिंह ने कहा कि कुछ दिन पहले पुलिस ने उनके पुत्र तथा कुँवर सिंह के प्रपौत्र रोहित सिंह की पीट कर ह्त्या कर दी थी और भाजपा-जद (यु) की सरकार कुँवर सिंह विजयोत्सव के नाम पर अपनी राजनिति के लिए अमित शाह का अभिनन्दन समारोह कर रही है जो सिर्फ लाश की राजनीति है और वे इसका पुरजोर विरोद्ध करेंगी तथा आत्मदाह भी करेंगी| अन्यथा सरकार उनकी मांग माने नहीं तो पूरा बिहार अमित शाह के कार्यक्रम का विरोद्ध करेगा।

श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना बिहार के प्रदेश अध्यक्ष कुमार सुनील कुमार सिंह ने कहा कि सरकार कुँवर सिंह के प्रपौत्र की लाश पर राजनीति बंद करे और उनके परिवार की मांग पूरी करते हुए रोहित सिंह को न्याय दिलवाए अन्यथा क्षत्रिय समाज के साथ पूरा बिहार कुँवर सिंह के परिवार के साथ खडा है कुँवर सिंह के छापामार युद्ध कौशल अपनाते हुए अमित शाह के कार्यक्रम के घुसकर काला झंडा दिखा विरोद्ध करेंगे।

रिंकू सिंह ने कहा कि सरकार इस भ्रम में ना रहे कि क्षत्रिय सिरमौर वीर कुँवर सिंह के वंशज की लाश पर राजनीति कर लेगी। पुरे देश के करणी सैनिक भोजपुर की धरती पर इकठ्ठा हो जायेंगे| इसलिए सरकार कुँवर सिंह के वंशज को यथाशीघ्र न्याय दिलाये अन्यथा अमित शाह के कार्यक्रम का पुरजोर विरोद्ध होगा।

राजीव एन अग्रवाल की रिपोर्ट