मधुबनी : जिले के जयनगर में बाबा साहेब डा० भीम राव अम्बेडकर की 131वीं जयंती पर क्षेत्र में विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन किया गया। माँ अन्नपूर्णा कम्युनिटी किचन के संरक्षक सुरेन्द्र महतो के नेतृत्व में कार्यक्रम का आयोजन कर सभी सदस्यों ने बाबा साहेब डा० भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनको याद किया ओर उन्हें श्रधान्जली दि गई।
बाबा साहब के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए संरक्षक सुरेन्द्र महतो ने उनके विचारों पर अमल करने संविधान का सम्मान कर सविधान के पथ पर चलने को लेकर सभी को प्रेरित करने का संकल्प लिया। बाबासाहेब आम्बेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान के पाठ में व्यक्तिगत नागरिकों के लिए नागरिक स्वतंत्रता की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए संवैधानिक गारंटी और सुरक्षा प्रदान की गई है, जिसमें धर्म की आजादी, छुआछूत को खत्म करना, और भेदभाव के सभी रूपों का उल्लंघन करना शामिल है।
बाबासाहेब आम्बेडकर ने महिलाओं के लिए व्यापक आर्थिक और सामाजिक अधिकारों के लिए तर्क दिया, और अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सदस्यों के लिए नागरिक सेवाओं, स्कूलों और कॉलेजों में नौकरियों के आरक्षण की व्यवस्था शुरू करने के लिए असेंबली का समर्थन जीता, जो कि सकारात्मक कार्रवाई थी।
इस मौके पर रामचंद्र साह, अमित कुमार राउत, गणेश कांस्यकार, लक्षमण यादव, मनीष गुप्ता, गौरव जोशी, राहुल महतो, मिथिलेश महतो, विवेक सूरी, हर्ष कुमार, अंकित प्रसाद, संतोष शर्मा, सुनील कर्ण, सुमित कुमार राउत एवं अन्य कई सदस्य मौजूद रहे। इस मौके पर संस्था के मुख्य संयोजक अमित कुमार राउत ने बताया कि डॉ॰ बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आन्दोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था।
श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मन्त्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे। हिन्दू पन्थ में व्याप्त कुरूतियों और छुआछूत की प्रथा से तंग आकार सन 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया था। सन 1990 में, उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरान्त सम्मानित किया गया था।
14 अप्रैल को उनका जन्म दिवस आम्बेडकर जयन्ती के तौर पर भारत समेत दुनिया भर में मनाया जाता है।डॉक्टर आम्बेडकर की विरासत में लोकप्रिय संस्कृति में कई स्मारक और चित्रण शामिल हैं। इस मौके पर संस्था के सचिव लक्ष्मण यादव ने कहा कि बाबासाहेब संविधान निर्माता हैं, उनके आदर्श महान हैं। उन्होंने बताया कि गांधी जी व कांग्रेस की कटु आलोचना के बावजूद आम्बेडकर की प्रतिष्ठा एक अद्वितीय विद्वान और विधिवेत्ता की थी।
जिसके कारण जब, 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, कांग्रेस के नेतृत्व वाली नई सरकार अस्तित्व में आई, तो उसने आम्बेडकर को देश के पहले क़ानून एवं न्याय मंत्री के रूप में सेवा करने के लिए आमंत्रित किया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। 29 अगस्त 1947 को, आम्बेडकर को स्वतंत्र भारत के नए संविधान की रचना के लिए बनी संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया। संविधान निर्माण के कार्य में आम्बेडकर का शुरुआती बौद्ध संघ रीतियों और अन्य बौद्ध ग्रंथों का अध्ययन भी काम आया।
आम्बेडकर एक बुद्धिमान संविधान विशेषज्ञ थे, उन्होंने लगभग 60 देशों के संविधानों का अध्ययन किया था। आम्बेडकर को “भारत के संविधान का पिता” के रूप में मान्यता प्राप्त है। वहीं इस मौके पर अन्य कई स्थानीय लोग एवं गणमान्य लोग भी मौजूद रहे।
सुमित कुमार की रिपोर्ट