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एड्स पीड़ितों की संख्या में आयी कमी, 2030 तक खत्म करने का लक्ष्य

पटना : एचआईवी एवं एड्स से बचाव को लेकर जागरूकता अहम है। इसके बचाव व उपचार को लेकर स्वास्थ्य विभाग का निरंतर प्रयास जारी है। केंद्र और राज्य सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक बिहार से एचआईवी एवं एड्स को खत्म कर देना है। पिछले दो वर्षों में पीड़ितां की संख्या में कमी आई है। उक्त बातें स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह सह मीडिया संवेदीकरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं। बुधवार को आयोजित कार्यक्रम में मंत्री ने जनमानस तक एड्स जागरुकता फैला रहे न्यू इंडिया/75 कैंपेन एवं रेड रिबन क्विज प्रतियोगिता के विजयी छात्र-छात्रों सहित मीडियाकर्मियों, पदाधिकारियों और कर्मियों को पुरस्कृत भी किया।

पांडेय ने कहा कि एचआईवी एवं एड्स के इलाज हेतु लोगों को संकोच नहीं करना चाहिए। सही समय पर जांच और उपचार हो जाने से व्यक्ति का न सिर्फ उचित इलाज होता है, बल्कि वह स्वस्थ एवं उपयोगी लंबा जीवन भी जीता है। स्वास्थ्य विभाग ऐसे लोगों को स्वस्थ जीवन प्रदान करने के लिए एड्स जैसी बीमारी पर गंभीर है और हर जरूरी कार्य किये जा रहे हैं। जितना इसको रोकने में सफल होंगे, उतना समाज को बीमारी से निजात दिला पायेंगे। इसको लेकर खासकर युवाओं के बीच खुली चर्चा होनी चाहिए। साथ ही एचआईवी चैंपियन को इसको लेकर आगे आना होगा और समाज को विश्वास दिलाना होगा, ताकि संक्रमितों में ऐसी बीमारी को लेकर आत्मविश्वास बढ़ सके।

एचआईवी संक्रमितों को बिहार शताब्दी एड्स पीड़ित कल्याण योजना अंतर्गत भरण-पोषण हेतु प्रतिमाह 15 सौ रुपये की राशि मुहैया करायी जाती है। इसके अंतर्गत एक साल में 40 हजार 924 लाभार्थियों के बीच 23 करोड़ 70 लाख रुपये डीबीटी के माध्य से बैंक खाते में हस्तांतरित किया जा चुका है। समाज कल्याण विभाग द्वारा भी परवरिश योजना के तहत 9289 संक्रमितों एवं प्रभावित बच्चों को प्रतिमाह एक हजार मात्र की दर लाभान्वित किया जा रहा है।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि टेस्टिंग के लिए पीएमसीएच में भायरल लोड का नया लैबोरेटरी बनाया गया है। 2021-22 में चार सरकारी रक्त केंद्र सदर अस्पताल, अररिया, बांका, अरवल एवं भागलपुर में खोले गये। साथ-साथ तीन प्राइवेट रक्त केंद्र भी स्थापित किये गये। वर्तमान में राज्य में 43 सरकारी तथा 59 अनुज्ञप्ति धारक प्राइवेट रक्त केंद्र कार्यरत है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में एक लाख 64 हजार 368 यूनिट रक्त संग्रह की गई एवं 811 स्वैच्छिक रक्त शिविर आयोजित किये गये।

राज्य में 209 समेकित जांच एवं परामर्श केंद्र, 660 एफ-आईसीटीसी एवं 58 कारा एफ-आईसीटीसी के अलावे 404 आईसीटीसी-पीपीटीसी केंद्र संचालित हैं। 396 महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय के अलावे अन्य संस्थानों में रेड रिबन क्लब के माध्यम से एचआईवी एवं एड्स के प्रति युवाओं को जागरूक किया जा रहा है। दिन विशेष पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। व्यापक प्रचार-प्रसार के माध्यम से आईईसी प्रभाग द्वारा समाज में एड्स से पीड़ित व्यक्तियों को समाज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जाता है।

वर्तमान में कुल 29 एआरटी केंद्र संचालित हैं। फरवरी 2022 तक 67 हजार 357 लोगों को निःशुल्क एआरवी दचा एआरटी द्वारा वितरण किया गया। कार्यक्रम को यूनिसेफ की राज्य प्रतिनिधि नफिसा विंते शफीक, बीएसएसीएस के परियोजना निदेशक अंशुल अग्रवाल अतिरिक्त परियोजना निदेशक नरेन्द्र कुमार गुप्ता, यूनिसेफ के स्वास्थ्य विशेषज्ञ एसएसएस रेड्डी एवं बीएसएसीएस के संयुक्त निदेशक मनोज कुमार सिन्हा ने भी संबोधित किया।