सीआईएटी जवानों पर हत्या की प्राथमिकी
आरा : भोजपुर जिले के जगदीशपुर में 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायक वीर कुंवर सिंह के वंशज कुंवर रोहित सिंह उर्फ बबलू सिंह की मौत के मामले में भोजपुर एसपी विनय तिवारी ने पीरो एसडीपीओ के नेतृत्व में एसआइटी गठित की गयी है। इस मामले लेकर सीआईटी जवानों के खिलाफ हत्या की प्राथमिकी दर्ज कराई गयी है|
ह्त्या को लेकर जगदीशपुर में लगातार दूसरे दिन भी उबाल रहा। दिन बुधवार को भी जगदीशपुर में रोड जाम और हंगामा किया गया। इससे पहले मंगलवार को भी जगदीशपुर रेफरल से आरा सदर अस्पताल तक हंगामा किया गया था। बुधवार को बिहार विधानसभा में भी इस मामले की गुंज सुनाई पड़ी।
मृतक की मां पुष्पा सिंह के बयान पर जगदीशपुर किला में तैनात सीआईएटी के जवानों सहित चार लोगों पर केस किया है। इसमें सीआईएटी के तीन जवानों और उनके पास प्राइवेट कुक के तौर पर काम करने वाले जगदीशपुर कसाब मोहल्ला निवासी सद्दाम इद्रीशी उर्फ गेंडा को आरोपित किया गया है। सीआईएटी के जवानों के नाम का खुलासा नहीं किया गया है। हालांकि उन्हें देख कर पहचान लेने की बात कही गयी है।
बताते चलें कि सोमवार की रात वीर कुंवर सिंह के खानदान से जुड़े कुंवर रोहित सिंह उर्फ बबलू सिंह की जगदीशपुर रेफरल अस्पताल में मौत हो गयी थी। उसके बाद से ही परिजन और स्थानीय लोग सीआईएटी जवानों पर पीट-पीटकर बबलू सिंह की हत्या करने का आरोप लगाते हुये हंगामा कर रहे हैं। एसपी विनय तिवारी ने बताया कि सीआईएटी के तीन जवानों सहित चार लोगों पर हत्या की प्राथमिकी दर्ज की गयी है। पीरो एसडीपीओ के नेतृत्व में एक स्पेशल टीम गठित कर जांच की जांच की जा रही है। घटना में शामिल जवानों की पहचान भी की जा रही है। दोषी जवानों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जायेगी।
मृतक की मां पुष्पा सिंह ने बताया कि सोमवार की रात करीब 11 बजे उनका पुत्र कुंवर रोहित सिंह उर्फ बबलू सिंह अपने घर के बरामदे में टहल रहा था। तभी उसने देखा कि किला की सुरक्षा में तैनात सीआईएटी के तीन जवान एक महिला के साथ शारीरिक संबंध बना रहे थे। उसे अपने वीर पूर्वज की पावन धरती का अपमान बताते हुये बबलू सिंह जवानों के उस गलत काम का विरोध करने चला गया। वह खिड़की से पूरी घटना देख रही थी। उनके बेटे ने गलत काम का विरोध किया, तो तीन जवान और उनका खाना बनाने वाले बबलू के साथ मारपीट करने लगे।
सभी लाठी-डंडे और राइफल के बट से उनके बेटे को मार रहे थे। इसे देख वह दूसरे बेटे कुंवर राहुल सिंह उर्फ राजू के साथ बीच-बचाव करने पहुंची। तब जवानों ने धक्का देकर उनको भी गिरा दिया और गाली-गलौज की गयी। कुछ देर के बाद जवान उनके बेटे को लेकर कहीं चले गये। उसके बाद उन्होंने अपने बेटे की काफी खोजबीन की, लेकिन पता नहीं चला। अगले दिन सुबह करीब आठ बजे पता चला कि उनके बेटे का शव जगदीशपुर के रेफरल अस्पताल में पड़ा है। मंगलवार सुबह कुंवर रोहित सिंह उर्फ बबलू सिंह की मौत के बाद से ही हंगामे का दौर चलता रहा। जगदीशपुर के रेफरल अस्पताल में पूरे दिन चले हंगामे के बाद एसडीओ की पहल पर तरह लोग शांत हुये और रात करीब 11 बजे शव सदर अस्पताल लाया गया। लेकिन वहां भी डीएम और एसपी को बुलाने सहित दोषी सीआईएटी जवानों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर हंगामा करने लगे।
परिजनों और लोगों ने शव को पोस्टमार्टम करने से रोक दिया था| सदर एसडीओ लाला ज्योति नाथ शाहदेव और एएसपी हिमांशु सहित अन्य अधिकारी पहुंचे, लेकिन लोग कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे। उसके बाद रात करीब 12 बजे डीएम रोशन कुशवाहा और एसपी विनय तिवारी सदर अस्पताल पहुंचे। दोनों अफसरों ने परिजनों और लोगों को समझाकर शांत कराया। न्याय का भरोसा दिलाया गया। एसपी ने परिजनों को बताया कि एसआईटी गठित कर जांच जा रही है। दोषी जवानों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जायेगी। डीएम ने भी कहा कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जायेगा।
देर रात मामला शांत होने के बाद डीएम और एसपी के आदेश पर बोर्ड गठित कर शव का पोस्टमार्टम कराया गया। मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में शव का पोस्टमार्टम कराया गया। खुद डीएम और एसपी भी मौजूद रहे। पोस्टमार्टम के लिये डाक्टरों तीन सदस्यीय बोर्ड गठित की गयी। उसमें डा. प्रभात प्रकाश, डा. राजीव कुमार और डा. प्रमोद कुमार शामिल थे। पूरे पोस्टमार्टम की प्रक्रिया की वीडियोग्राफी करायी गई। इसके पूर्व जिस-जिस जगह पर परिजनों द्वारा चोट के निशान बताए गए। उन-उन जगहों का एक्स-रे कराया गया। वहीं मृतक के शव का वेसरा भी सुरक्षित रख दिया गया। रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का पता चल सकेगा।
कुंवर रोहित सिंह उर्फ बबलू सिंह की मौत के बाद आरा सदर अस्पताल प्रशासन की लापरवाही भी सामने आयी। प्लास्टिक की पन्नी व कपड़े नहीं मिलने से पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को शव सौंपने में काफी विलंब हुआ। इससे अस्पताल प्रशासन के प्रति लोगों में नाराजगी देखी गयी। एसडीओ भी नाराज दिखे। बताया जाता है कि रात में पोस्टमार्टम के बाद शव पैक करने के लिये प्लास्टिक की पन्नी और मरकिन का कपड़ा नहीं मिल रहा था। इसको लेकर प्रशासन को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। एसडीओ ने सदर अस्पताल प्रशासन को पन्नी और मरकिन उपलब्ध कराने को कहा पर बताया गया कि अस्पताल प्रशासन की ओर से यह चीज उपलब्ध नहीं कराया जाता है। यह परिजनों द्वारा दिया जाता है। इससे नाराज एसडीओ ने पूछा कि पोस्टमार्टम के बाद शव को कैसे परिजनों को सौंपते हैं? इसको लेकर कोई संतोषजनक जवाब अस्पताल प्रशासन द्वारा नहीं दिया गया। सूत्रों के अनुसार हंगामे और पोस्टमार्टम के दौरान सदर अस्पताल प्रशासन के जवाबदेह लोग गायब रहे।
बताया जाता है कि हंगामे के बाद पोस्टमार्टम के दौरान डीएम और एसपी समेत अन्य वरीय देर रात तक सदर अस्पताल में मौजूद रहे। लेकिन अस्पताल प्रशासन के अवसर नदारद रहे। सूत्रों की मानें तो सिविल सर्जन डा. रामप्रीत सिंह छुट्टी पर हैं। उनकी जगह पर डॉ. विनोद कुमार प्रभारी सीएस बनाए गए हैं। बताया जा रहा है कि अस्पताल के उपाधीक्षक एवं हेल्थ मैनेजर भी गायब रहे।
इसी बीच बबलू सिंह की हत्या की एसआईटी ने जांच शुरू कर दी तथा जगदीशपुर रेफरल अस्पताल के सीसीटीवी और रजिस्टर खंगाला गय एवं डयूटी के दौरान अस्पताल में तैनात स्टाफ से जानकारी ली गयी। जांच में पुलिस को सीसीटीवी फुटेज नये अहम सुराग मिले हैं। सीसीटीवी फुटेज में सोमवार की रात करीब 12 बजे बबलू अकेले ही पैदल रेफरल अस्पताल जाते देखा गया है।
पुलिस के अनुसार फुटेज में दिख रहा युवक बबलू सिंह ही है। वह अकेले पैदल अस्पताल जा रहा है। जबकि बबलू सिंह के परिजन मारपीट करने के बाद जवानों द्वारा उसे अस्पताल के गेट पर फेंक दिये जाने का आरोप लगाया जा रहा है। पुलिस के अनुसार अस्पताल के रजिस्टर में भी रात करीब 12 बजे उसकी इंट्री दिखाई गयी है। पुलिस के मुताबिक पूछताछ के क्रम में अस्पताल के कर्मियों द्वारा बताया गया कि युवक को रेफर करना था। इसके लिये परिजनों को सूचना दी गयी थी। लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला। मंगलवार को उसकी मौत हो गयी।
एसपी विनय तिवारी ने बताया कि रेफरल अस्पताल सीसीटीवी फुटेज खंगाला गया है। उसमें बबलू सिंह को रात करीब 12 बजे अकेले ही पैदल अस्पताल में जाते देखा जा रहा है। टीम पूरी गहनता और निष्पक्षता से जांच कर रही है। परिजनों की ओर से सीआईटी के तीन अज्ञात जवानों के साथ उनके रसोईये पर आरोप लगाया जा रहा है। उन जवानों की भी पहचान की जा रही है।
लोगों के आशीर्वाद से आरा नगर निगम की ईमानदार छवि बनेगी-डॉ जीतेन्द्र शुक्ला
आरा : बिहार सरकार ने अभी तक आरा नगर निगम के चुनाव की घोषणा नही की है परन्तु बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 में संशोधन का विधयेक लाकर नगर निगमों में महापौर तथा उप महापौर का प्रत्यक्ष रूप से चुनाव कराने का फैसला किया है और राजभवन ने भी अध्यादेश जारी कर दिया है हालांकि अभीतक रोस्टर नही बना है फिर भी आरा नगर निगम के महापौर तथा उप महापौर पद हेतु प्रत्याशियों ने जोर आजमाइश शुरू कर दी है|
चुनाव अप्रेल से मई के बीच कभी भी संभव है| आरा शहर में आयोजित किसी भी कार्यक्रम में कई भावी प्रत्याशी शामिल होकर अपनी चुनावी रणनीति बना रहे है जबकि कुछ अभी भी रोस्टर के लागू होने आदि की मंत्रणा में लगे हैं| फिर भी कई नाम सामने आ रहे है| खासकर सोशल मीडिया पर ऐसे भावी प्रत्याशियों की बाढ़ तक आई हुयी है|
इसी क्रम में आरा नगर निगम के महापौर के पद हेतु भावी प्रत्याशी के रूप डॉ जीतेन्द्र कुमार शुक्ला का नाम सामने आ रहा है जो वार्ड न. 16 से 2007 से 2017 तक दो बार वार्ड पार्षद भी रह चुके है| एक बार महिला सीट होने के कारण चुनाव नही लड़ सके थे| इन्होने ने आरा के हर प्रसाद दास जैन कॉलेज से स्नातकोत्तर तथा वीर कुवर सिंह विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. की डिग्री हासिल की है| ये स्पष्ट वक्ता, कर्तव्यनिष्ठ, ईमानदार, धार्मिक एवं सामाजिक गतिविधियों में लगातार शामिल होने वाले शख्स है| आरा नगर निगम के अंतर्गत आने वाले सभी 45 वार्डों में एक सामान भाव से कार्य करने को दृढ़संकल्पित है|
वार्ता के क्रम में डॉ जीतेन्द्र कुमार शुक्ला ने बताया कि जनता को बुनियादी सुविधाए, सड़क, गली, पीने का स्वच्छ, अतिक्रमण एवं जाम से मुक्ति, राशन, सफाई, प्रकाश, छठ घाट, उत्तम जल निकासी, शिक्षा, चिकित्सा की सुविधा, पर्यावरण संरक्षा हेतु बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण इत्यादि की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ लोगों की समस्याओं का यथा संभव समाधान किया जाएगा|
यह पूछे जाने पर कि वे महापौर का चुनाव क्यों लड़ रहे है और लोग उन्हें ही वोट क्यों दे? डॉ जीतेन्द्र शुक्ल ने बताया कि वे विशुद्ध रूप से जनता के सेवक रहे है और आगे भी जनता के सेवक के रूप ही सेवा करते रहेंगे| वे आरा शहर को सुन्दर शहर में बदलना चाहते है| उन्होंने बताया कि वे वर्षों से शहर के तमाम संगठनों से जुड़कर सामाजिक कार्यों में लगा हूँ| उन्होंने आरा सासाराम बड़ी रेल लाइन का निर्माण, आरा कमिश्नरी के लिए आन्दोलन, भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवी सूचि में जोड़ने के आन्दोलनों सक्रिय रहा हूँ साथ ही कई सामाजिक संगठनों के सक्रिय सदस्य भी रहा हूँ| डॉ शुक्ला ने बताया कि व्यक्तिगत रूप से वे शहर के तमाम लोगों से पारवारिक रूप से जुडा हूँ|
डॉ जीतेन्द्र शुक्ला ने शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छत्रों, युवाओं, बुद्धिजीवियों एवं अन्य से निवेदन किया कि एक बार अपना आशिर्वाद दे| उनके आशीर्वाद से वे उनकी आकांक्षाओं पर खरा उतरेंगे| उन्होंने आश्वस्त किया कि सभी के आशीर्वाद से वे आरा नगर निगम की तस्वीर बदल देंगे और एक ईमानदारी के युग की शुरुआत होगी| डॉ जीतेन्द्र शुक्ला से वार्ता की एक झलक|
राजीव एन अग्रवाल की रिपोर्ट