नवादा : नवादय के रामायणकालीन मेसकौर प्रखंड क्षेत्र स्थित सीतामढी में ऐतिहासिक मेले का शुभारंभ आज केन्द्रीय राज्य मंत्री सह नवादा सांसद गिरिराज सिंह ने किया। इसके साथ ही पांच दिवसीय मेला आरंभ हो गया। सीतामढी मेला अगहन पूर्णिमा के अवसर पर लगता रहा है जिसका इंतजार आसपास के लोगों को बङी बेसब्री से रहता है। कङाके की ठंड के बावजूद लोगों का आना आरंभ हो गया है।
मां सीता की निर्वासन स्थली व लवकुश की जन्मभूमि पर लगने वाले मेले में मनोरंजन की पूरी व्यवस्था की गयी है। इसके साथ ही यहां हर जाति के लिए अलग-अलग मंदिर रहने से भी मेले में आने वालों की तादाद काफी अच्छी रहती है। पूर्णिमा के अवसर पर लगभग 50 हजार लोगों ने तालाब में स्नान कर मंदिर में मां सीता व लवकुश की पूजा अर्चना की।
जिला प्रशासन द्वारा भी शराबबंदी व बाल विवाह से लेकर अन्य प्रदर्शनी के साथ नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया । इसके साथ ही कई जाति से जुड़े लोगों द्वारा अपने अपने मंदिरों में गायन प्रतियोगिता का आयोजन किया । कुशवाहा समाज के लोगों ने आगंतुकों के लिए मुफ्त चिकित्सा शिविर के साथ ही पेयजल की समुचित व्यवस्था की गयी है ।
मान्यता है कि भगवान राम ने जब गर्भवती मां सीता को निर्वासित किया था तो लक्ष्मण ने यही छोड़ा था। तब महर्षि बाल्मीकि ने शरण दी थी। लवकुश का जन्म के बाद शिक्षा यही मिली थी। इसके साथ ही अश्वमेघ यज्ञ के लिए लवकुश के साथ संग्राम यहीं हुआ था।
गिरिराज सिंह ने कहा कि यह पवित्र भूमि है जिसे रामायण सर्किट से नहीं जोड़ा जाना अपने आप में आश्चर्य की बात है। पर्यटन के नक्शे पर सीतामढी को लाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा । मौके पर जिलाध्यक्ष शशीभूषण कुमार बब्लू, विनय कुमार समेत हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे।