बिहार की विरासत से प्रफुल्लित, लेकिन सदन की गिरती गरिमा से व्यथित हुए लोकसभा स्पीकर

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बिहार लोकतंत्र की ही नहीं बल्कि भारत की सभ्यता, ज्ञान, अध्यात्म और चेतना की भी पुण्यभूमि

पटना : बिहार की पावन भूमि विश्व में लोकतंत्र की जन्मस्थली रही है। यहां से आरंभ हुआ लोकतंत्र आज हमारी सोच, जीवन और कार्यशैली का हिस्सा बन चुका है। लोकतंत्र हमारे संस्कार में है, हमारा जीवनमूल्य है। बिहार लोकतंत्र की ही नहीं बल्कि भारत की सभ्यता, ज्ञान, अध्यात्म और चेतना की भी पुण्यभूमि है। भगवान बुद्ध और भगवान महावीर के संदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक है। उक्त बातें बिहार विधान सभा के स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कही।

उन्होंने कहा कि बिहार की धरती चंपारण पर ही महात्मा गांधी ने सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के नए प्रयोग किए थे, जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी थी। बिहार की विधायिका के 100 वर्ष पूर्ण होने के ऐतिहासिक अवसर पर है, हम सामूहिक संकल्प लें कि अपने दायित्वों व कर्तव्यों का सम्यक निर्वहन कर इस प्रदेश व देश के लोगों के जीवन में आमूल-चूल परिवर्तन लाएंगे और राज्य के विकास के लिए निष्ठा व समर्पित भाव से कार्य करेंगे।

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सदन में गरिमा गिरती जा रही, शालीनता और अनुशासन हमारी जिम्मेदारी

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि बिहार के गांवों में भी राजनीतिक चेतना है, यहां गांव के लोग भी अपने विधायक और सरकार के कार्य पर नजर रखते है। इसलिए हर विषय पर सदन में चर्चा हो, कानून बनाते समय भरपूर चर्चा हो। उन्होंने कहा कि देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, लेकिन चिंता इस बात की है कि सदन में गरिमा गिरती जा रही है, जो कि हम सबके लिए चिंता का विषय है। सदन में बैठकों की संख्या घटती जा रही है, जो चिंता का विषय है। हमें व्यापक प्रयास करना चाहिए कि सदन में संवाद हो, सहमति और असहमति के बावजूद लोकतांत्रिक तरीके से संवाद जरूरी है। विधानमंडल की गरिमा को बनाये रखना तथा शालीनता और अनुशासन हमारी जिम्मेदारी है।

कार्यपालिका में बैठे लोग खुद को समझें लोक सेवक

विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने स्वागत सम्बोधन में कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक और गरिमामय है, अपने अधिकारों के साथ कर्तव्यों पर भी ध्यान देना होगा, इसलिए कार्यपालिका में बैठे लोगों को यह सोचना है कि वे लोक सेवक हैं। विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि लोकतंत्र हमारे लिए एक व्यवस्था भर नहीं है, हमारी जीवनशैली को निर्धारित करने वाला विचार है। हमारे लोकजीवन में व्यक्ति से संस्था का निर्माण और संस्था से व्यक्ति का निर्माण एक सतत प्रक्रिया के रूप में स्वीकार किया गया है।

संविधान के निर्माता हमारे महान विभूतियों ने इसी विचार को पहचानते हुए हमारे देश में व्यावहारिक लोकतंत्र की रूपरेखा सामने रखी। इसमें विधायिका को शासन का ऐसा अंग माना गया जो कार्यकारी प्रशासन को निर्धारित भी करे नियंत्रण भी करे, संवाद भी करे और समाधान भी सुझाये । शासन को सुशासन में तब्दील करना विधायिका की सबसे बड़ी जिम्मेवारी है। शासन को लोकहित में उत्तरदायी बनाने की शक्ति हमें जनता देती है । उसी जनता से हमें व्यक्तिगत और सामूहिक विशेषाधिकार भी मिलते हैं। इसलिए हमें जो शक्ति और अधिकार मिले हैं, उसे अपने नैतिक और व्यावहारिक कर्त्तव्य के माध्यम से जनहित में प्रयोग का प्रयास करना चाहिये। यह प्रबोधन कार्यक्रम उसी दिशा में प्रेरित करने की एक कोशिश है ।

संसदीय जीवन में लें अनुभवी लोगों से सीख

इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि लोगों के मुद्दों को लेकर सक्रिय रहकर काम करना जरुरी है, तभी लोगों का स्नेह आपको मिलेगा अन्यथा जनता तुरंत सबक सिखा देगी। इसके साथ नीतीश कुमार ने कहा कि आप लोकतांत्रिक तरीके से मुद्दों का विरोध करें, लेकिन सदन से बाहर निकलने के बाद अनुभवी लोगों से सीख जरूर लें।

शराबबंदी कानून को सरंक्षण दें लोकसभा अध्यक्ष

मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि अप्रत्यक्ष रूप से न्यायपालिका की टिप्पणी पर नीतीश सरकार की बातों को रखते हुए कहा कि आज शऱाबबंदी पर एक संस्था की तरफ से अंगुली उठाई जा रही है। आप यानी लोकसभा अध्यक्ष पूरे देश के विधायिका के कस्टोडियन होते हैं, उस नाते शऱाबबंदी कानून पर जिस तरह से सवाल खड़े किये जा रहे हैं, उसे बचाने के लिए आगे आयें।

राजनैतिक संस्थाओं में एक खुलेपन की संस्कृति स्थापित की जाए

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार लोकतंत्र की जन्मस्थली है और शायद इसलिए बिहार के आम नागरिकों के बीच में राजनैतिक समझ और चर्चा का स्तर कुछ और ही है। बिहार की जनता जागरूक है, सक्रिय है, प्रगतिशील है। गली, कूचे, मोहल्ले में लोगो के बीच में आम वार्ता में भी उत्साह है, परिपक्वता है। आज के समारोह में मैं सब से पहले बिहार की जनता को शुभकामनायें देना चाहता हूँ की उन्होंने ऐसे संस्थानों में भरोसा बनाये रखा है, बढ़-चढ़ कर राजनैतिक प्रक्रिया में भाग लिया है, और जवाबदेही मांगी है। पर आज के दौर में यह भी कहना पड़ेगा की जितना जनता ने संस्थानों में विश्वास दिखाया है, हमारे संस्थान बहुत हद तक लोगों की पहुँच से दूर होते जा रहे हैं, अनुत्तरदायी होते जा रहे हैं, खासतौर से उनके लिए जो समाज के हाशिये पर हैं। इस फासले को काम करना राजनैतिक नेतृत्व की प्राथमिक ज़िम्मेदारी है। पांच साल में वोट देने-लेने से परे, हमें सोचना होगा की कैसे सार्वजनिक और राजनैतिक संस्थाओं में एक खुलेपन की संस्कृति स्थापित की जाए।

इस कार्यक्रम में राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी, उपमुख्यमंत्री द्वय तारकिशोर प्रसाद, रेणु देवी, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, संसदीय कार्यमंत्री विजय कुमार चौधरी मंच पर मौजूद रहे।

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