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बिहार के इस स्टेशन पर डिजिटल भिखारी, ‘छुट्टे नहीं हैं’ से अब नहीं चलेगा काम…

पटना : जमाना कितना हाईटेक हो गया है, इसका अहसास हमें नहीं होता। लेकिन जब आम और सहज जिंदगी में इसके असर से हमें दो—चार होना पड़ता है तो हम एकबारगी चौंक पड़ते हैं। ऐसी ही एक मिसाल बिहार के बेतिया रेलवे स्टेशन पर देखने को मिली। यहां ट्रेन से उतरने वाले यात्रियों से भिखारी आनलाइन भीख की डिमांड करते नजर आये। जिन यात्रियों से ये भिखारी आनलाइन भीख मांगते हैं, वे पहले तो ठिठक जाते हैं। फिर वे इनके तकनीकी ज्ञान को देख दांतों तले अंगुली दबाते हुए वहां से निकल जाते हैं।

बेतिया रेलवे स्टेशन है बसेरा

यह सीन बिहार के बेतिया रेलवे स्टेशन की है जहां भिखारियों का एक छोटा ग्रुप इस तरह आनलाइन भीख मांगता है। पूछने पर इन्होंने एक भिखारी की तरफ ईशारा कर बताया कि इस सबकी शुरूआत राजू नाम के एक भीख मांगने वाले ने की। वह बेतिया रेलवे स्टेशन पर 30 साल से भीख मांगता आया है। उसने समय के हिसाब से अपने भीख मांगने के तरीके भी बदल लिये। अब वह हाईटेक तरीके अपनाकर आनलाइन भीख कबूलता है। साथ ही उसने अपने साथी भिखारियों को भी यह आनलाइन तरीका सिखा दिया है।

गले में पेमेंट बारकोड की पट्टी

बेतिया स्टेशन पर आपको डिजिटल भिखारी राजू के हाथ में एक टेबलेट और उसके गले में फोन पे, गूगल पे और पेटीएम के ऑप्शन वाला बार कोड लटका हुआ दिख जाएगा। राजू के अनुसार पहले तो वह लोगों से नकद मांगता है। लेकिन जब कोई उससे छुट्टे नहीं होने की बात करता है तो उन्हें झट आनलाइन पेमेंट का विकल्प पेश कर देता है।

एक युवा यात्री ने सिखाया तरीका

उल्लेखनीय है कि राजू थोड़ा मंदबुद्धि भी है। इस वजह से लोग उसे कुछ नहीं कहते। पूछने पर राजू ने बताया कि उसे यह तरीका स्टेशन पर ही एक ट्रेन का इंतजार करते किसी युवा ने सिखाया था। थोड़े अंतराल के दौरान वह दो—चार बार उससे स्टेशन पर आने—जाने के दौरान सिखाता रहा। इसके बाद उसने बैंक जाकर अपना खाता खोला और ई-वॉलेट भी बना लिया। अब वो आराम से लोगों से गूगल पे, पेटीएम और फोन पे के जरिए भीख लेता है। लोग 5 रुपये से लेकर लोग 100 रुपये तक एक बार में उसे भीख दे देते हैं।