नयी दिल्ली/कोलकाता : चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर एक बार फिर राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते बेघर—बेरोजगार होने की कगार पर आ गये हैं। पहले भाजपा, फिर जदयू और कांग्रेस के बाद अब टीएमसी में भी जैसे ही उन्होंने अपनी दखलअंदाजी और मनमानी थोपनी शुरू की, तृणमूल के कई नेताओं ने कड़ा विरोध शुरू कर दिया। इसकी शिकायत लेकर जब पीके ममता से मिले और कहा कि वे कुछ तृणमूल नेताओं के व्यवहार से खुश नजर नहीं आ रहे हैं, तो ममता ने भी उन्हें तपाक से थैंक-यू बोल दिया।
प्रशांत किशोर की तृणमूल से टूटी दोस्ती
ममता और पीके की यह अदावत नगरपालिका चुनाव में सीट बंटवारे के बाद सामने आई। कई टीएमसी नेता नगरपालिका चुनाव में सीट बंटवारे पर प्रशांत किशोर से नाराज हो गए।इन नेताओं को प्रशांत किशोर की दखल अंदाजी पसंद नहीं आ रही। जब पीके ने इन नेताओं के व्यवहार और आगे काम करने में दिक्कत के बारे में ममता को अवगत कराया तो ममता ने भी उन्हें दो टूक जवाब दे दिया।
यहां भी टिक नहीं पाये चुनावी रणनीतिकार
विवाद तब शुरू हुआ जब तृकां महासचिव पार्थ चटर्जी और पार्टी अध्यक्ष सुब्रत बख्शी ने नगरपालिका चुनाव के लिए उम्मीदवारों की आधिकारिक सूची जारी की। सूची पर उनके हस्ताक्षर थे। लेकिन पार्टी के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर उम्मीदवारों की एक अलग अहस्ताक्षरित सूची दिखाई दी। इसके बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। फिर ममता सामने आईं और उन्होंने पार्थ चटर्जी और सुब्रत बख्शी द्वारा जारी सूची को ही अंतिम बता दिया। यहीं से पीके और ममता की तृणमूल में दूरी दिखने लगी।
समन्वय समितियों के गठन से बढ़ा विवाद
इसके बाद ममता बनर्जी ने पार्टी सदस्यों की शिकायतों को देखने के लिए सभी जिलों में समन्वय समितियों के गठन का ऐलान कर दिया। पीके ने इस ऐलान को अपने काम के तरीके पर हमला माना क्योंकि इन समितियों में ज्यादातर मामले पीके की दखलअंदाजी और कामकाज को लेकर ही आने की बात कही जा रही है। इसके बाद टीएमसी और प्रशांत किशोर के संगठन आई-पीएसी के बीच संबंधों में तनाव चरम पर पहुंच गया है।