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चुनावी धमक के बीच बजट में किसानों को मोदी सरकार ने क्या दिया, यहां पढ़ें

नयी दिल्ली : पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पेश वार्षिक बजट में मोदी सरकार ने किसानों को साधने की भरपूर कोशिश की। सरकार का मुख्य फोकस छोटे और सीमांत किसानों पर रहा क्योंकि इनकी संख्या देश में सबसे अधिक है। सरकार ने किसान आंदोलन के केंद्र में रही MSP को अब सीधे किसानों के खाते में भेजने का ऐलान किया है। इस सत्र में 163 लाख किसानों से 1208 मीट्रिक टन गेहूं और धान खरीदा जाएगा। बजट भाषण में सीतारमण ने कहा कि MSP के जरिए किसानों के खाते में 2.37 लाख करोड़ रुपए भेजे जाएंगे।

एमएसपी पर देश के सामने रखी सच्चाई

किसान संगठनों द्वारा एमएसपी की बात बार—बार करने का जवाब भी वित्त मंत्री ने बजट भाषण में दिया। उन्होंने बताया कि इस वर्ष 2.37 लाख करोड़ रुपये की उपज एमएसपी के तहत किसानों से खरीदी गई है। साथ ही यहा भी कहा कि सरकार देशभर में रासायन रहित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देगी। गंगा के किनारे 5 किलोमीटर के दायरे में इसके पहले चरण की शुरुआत की जाएगी। बजट में सरकार ने जहां किसानों को डिजिटल सेवा देने की बात कही, वहीं तिलहनों के उत्पादन को बढ़ावा देने का अभियान शुरू करने का ऐलान भी किया। छोटे किसानों को सिंचाई-पेयजल सुविधा बढ़ाने और इसके लिए पांच नदियों को आपस में जोड़ने की बात भी कही गई। मोदी सरकार ने साल 2023 को मोटा अनाज वर्ष घोषित करने का फैसला किया है। सरकार मोटे अनाज उत्पादों की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग पर जोर देगी।

बेहतर सिंचाई के लिए जुड़ेंगी पांच नदियां

छोटे—बड़े सभी किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधा के लिए 44605 करोड़ रुपये की लागत से केन-बेतवा लिंक परियोजना को शुरू करने का ऐलान किया गया। वित्त मंत्री ने कहा कि छोटे किसानों और एमएसएमई के लिए रेलवे नए उत्पाद विकसित करेगा। किसानों को डिजिटल और हाईटेक सेवाएं देने के लिए PPP मॉडल की भी घोषणा बजट में की गयी है। हालांकि पीएम किसान सम्मान निधि में बढ़ोतरी या कोई अन्य लोकलुभावन घोषणा बजट में किसानों के लिए नहीं हुई। लेकिन कुल मिलाकर अपने खेत से जुड़े मेहनतकश किसान के लिए यह बजट काफी उपयोगी है।