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श्रीरामचंद्रायण में है प्रभु राम के विराट रूप का सरल दर्शन

आदर्श व्यक्ति एवं समाज का निर्माण कर सकेंगे श्रीरामचंद्रायण को पढ़कर

लोककाव्य “श्रीरामचंद्रायण” पर परिचर्चा आयोजित

पहली बार हिंदी में प्रकाशित है प्रो.रामचंद्र सिंह कृत ‘श्रीरामचंद्रायण’

भारतीय संस्कृति का लोक काव्य रामायण का हिंदी संस्करण “रामचंद्रायण” पर आज परिचर्चा का आयोजन किया गया। यह परिचर्चा प्रो रामचंद्र सिंह के आवास पर हुई। जिसमें महर्षि वाल्मीकि कृत रामकथा रामायण के आदर्श पुरूष प्रभु श्रीराम के जीवन चरित को पहली बार हिंदी संस्करण में प्रकाशित होने पर इसे एक महत्वपूर्ण कृति माना गया।

परिचर्चा को प्रारंभ करते हुए स्वत्व प्रकाशन के प्रकाशक मंडल के सदस्य एवं वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण कांत ओझा ने कहा कि देश में विभिन्न भाषाओं में रामायण पढ़ने को मिलता है, परंतु पहली बार इसे अब हिंदी में पढ़ा जा सकेगा। प्रभु राम एवं उनका उत्तम आदर्श जीवन चरित हम सभी भारतियों के लिये एक आदर्श पुरुष एवं समाज की कल्पना को दर्शाता है। इसका हिंदी संस्करण प्रकाशित होने से यह पवित्र ग्रन्थ हम सभी के लिए सरल भाषा में पठनीय है।

इस पवित्र लोकग्रन्थ के लेखक डीएवी पीजी कॉलेज के रसायन शास्त्र के प्राध्यापक प्रो रामचंद्र सिंह (सेवानिवृत्त) ने कहा कि प्रभु राम एवं रामायण की लोकप्रियता से वे विद्यार्थी जीवन से ही काफी प्रभावित थे। हिंदी भाषा में इसका लेखन करने की मेरी तीव्र इच्छा थी। जिसके फलस्वरूप सेवा निवृति के पश्चात पिछले दस वर्षों के अथक प्रयास के बाद इस ग्रंथ का हिन्दी संस्करण प्रस्तुत कर सका हूं।

लेखक प्रो रामचंद्र सिंह

उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम एक मर्यादा पुरुषोत्तम एवं रामराज्य जैसे आदर्श समाज की कल्पना को साकार करने वाले हम सभी के आदर्श हैं। इस हिन्दी संस्करण के आने से हम सभी इसे सुगम तरीके से पढ़कर एक आदर्श व्यक्ति एवं समाज का निर्माण कर सकेंगे।

परिचर्चा में प्रो रवींद्र नाथ पाठक, विद्या भारती के अखिल भारतीय महामंत्री (सेवा निवृत्त), रमेन्द्र राय, प्रो अशोक प्रियंवद, अधिवक्ता डॉ विजय कुमार पांडेय, कवि एवं शिक्षक सुरेंद्र तिवारी, अधिवक्ता एवं कवि संजय सिंह, समाजसेवी गणेश सिंह, रामदेव विचार मंच के अध्यक्ष अभिषेक कुमार सिंह सहित दर्जनों साहित्यकार, पत्रकार एवं बुद्धिजीवी उपस्थित थे।

डॉ विजय कुमार पांडेय