राष्ट्र के प्रति कृतज्ञता ही अमृत है, जबकि कलुषित भाव रखना जहर : स्वामी केशवानंद
पटना : भारतवर्ष के लोग अभी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। इसका व्यापक अर्थ है कि राष्ट्र के प्रति कृतज्ञता ही अमृत है, जबकि देश के प्रति कलुषित भाव रखना जहर है। उक्त बातें बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ के कुलपति स्वामी केशवानंद जी ने कहीं। वे बुधवार को विद्यापीठ के परिसर में 73वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर तिरंगा फहराने के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे।
स्वामी केशवानंद जी ने कहा कि 15 अगस्त 1947 को हमें स्वतंत्रता मिल गई। उस स्वतंत्रता को मौलिक रूप में साकार करने के लिए हमें एक संविधान की आवश्यकता थी। 26 जनवरी 1950 को देश में संविधान लागू हुआ और उस दिन से आधुनिक भारत एक गणतंत्र हो गया। लोकतंत्र का आदर्श रूप गणतंत्र से पुष्ट होता है। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर से भारत की सांस्कृतिक शक्ति को स्थापित करने का पुण्य प्रयास कर रहे हैं। देश के नागरिक होने के नाते हम सबको अपने प्रधानमंत्री का हाथ मजबूत करना चाहिए। देश के हर नागरिक के लिए यह संभव नहीं है कि वह प्रधानमंत्री के साथ बैठ पाए। लेकिन, उनके सुविचारों के साथ तो हम हर पल बैठ सकते हैं।
इससे पूर्व समारोह को संबोधित करते हुए बिहार के प्रख्यात यूरोलॉजिस्ट डॉ. अजय कुमार ने कहा कि अंग्रेजों के जाने के बाद हमें भौतिक स्वायत्ता तो मिल गई, लेकिन मानसिक स्वायत्ता अभी नहीं मिली है। हमें इस ओर आगे बढ़ना चाहिए। सर्जन डॉ. सुरेंद्र राय ने कहा कि गणतंत्र की अवधारणा भारत के लिए कोई नई बात नहीं है। बल्कि, यह पद्धति तो हमारे यहां हजारों वर्ष पूर्व से विद्यमान है। चारों वेद, उपनिषद, विशेषकर भगवदगीता हमें एक साथ सामाजिक व राष्ट्रीय आचरण का पाठ पढ़ाते हैं। आवश्यकता है कि हम उन्हें बस पढ़कर किताबों तक सीमित नहीं रखें, बल्कि उसे व्यवहार में भी लाएं।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार कृष्णकांत ओझा ने कहा कि भारतवर्ष की जो मनीषी परंपरा है, जो वसुधैव कुटुंबकम् की अवधारणा है, यह हमारे संविधान में परिलक्षित होता है। संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इस बात की पूरी कोशिश की थी कि आधुनिक भारत में बनने वाला संविधान हमारी हजारों साल पुरानी संस्कृति का प्रतीक हो। गिरिजा बाबू, श्याम नंदन जी ने भी समारोह को संबोधित किया।
गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस राजेंद्र प्रसाद, पूर्व शिक्षा मंत्री पीके शाही, पद्मश्री डॉ. शांति राय, लोकायुक्त श्याम किशोर शर्मा, बार एसोसिएशन अध्यक्ष रामाकांत शर्मा, न्यूरोसर्जन डॉ. रविभूषण शर्मा, डॉ. शीला शर्मा, शायन कुणाल समेत राजधानी के विभिन्न हिस्सों से छात्र, युवा, बुद्धिजीवी उपस्थित थे।