जानें, कैसे सड़क बनाने के नाम पर लोगों में टीबी, दमा बांट रही निर्माण कंपनी?

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डोरीगंज : हाजीपुर-गाजीपुर सड़क निर्माण के नाम पर मधुकोन कंपनी लोगों को बीमार कर रही है। निर्माण कंपनी की लापरवाही के कारण सैकड़ों लोग बीमार हो चुके हैं। जबकि आसपास की आबादी स्वास्थ्य संकट झेल रही है। 8 साल से सुस्त निर्माण के कारण इलाके में अब तक कितने ही लोग अस्थमा, टीबी और सांस सम्बन्धी बीमारियों के शिकार हो गए हैं। निर्माण कंपनी खुलेआम सुप्रीम कोर्ट से लेकर एनजीटी तक के निर्देशों की धज्जियां उड़ा रही है लेकिन कोई देखने वाला नहीं है। एनजीटी के निर्देशों का पालन कराने में जिला प्रशासन भी नाकाम है। जिस कारण एनएच के किनारे बसे गांवों के लोगों, स्कूली बच्चे, वृद्ध तथा वहां से गुजरने वालों तक का बुरा हाल है।

बिना मानकों के हो रहा हाजीपुर-गाजीपुर हाइवे का चौड़ीकरण

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कई सख्त निर्देश दिए। इसके अनुसार धूल और धुआं के कारकों पर सख्ती से कार्रवाई की बात कही गई। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण यानी कि एनजीटी का भी सख्त निर्देश है कि जहां कहीं भी निर्माण कार्य हो, उस जगह को घेरा जाना चाहिए ताकि उससे उड़कर डस्ट लोगों की सांसों में जाकर उन्हें बीमार न बनाए। इसी के साथ यदि सड़क निर्माण हो रहा है तो धूल पर लगातार पानी का छिड़काव होना चाहिए। ताज्जुब की बात है कि उच्चतम न्यायालय से लेकर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के निर्देशों की छपरा से लेकर सोनपुर तक खुलेआम धज्जियां उड़ाने वाली निर्माण एजेंसी पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे लोग अब यह भी कयास लगाने लगे हैं कि इस खेल में अधिकारी भी शामिल हैं। एजेंसी और प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत का दुष्प्रभाव जनता झेल रही है।

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धूल के कारण टीबी, अस्थमा से पीड़ित हो रहे लोग

तय समय पर सड़क तैयार नहीं होने से लोगों को बेहतर यातायात सुविधा से तो वंचित रहना पड़ ही रहा है, ऊपर से निर्माण एजेंसी की मनमानी कोढ़ में खाज का काम कर रही है। लगातार आठ सालों से उड़ती धूल के कारण क्षेत्र के सैकड़ों बच्चे-बुजुर्ग बीमार हो चुके हैं। सांस के मरीजों को सांस लेने में काफी परेशानी हो रही है। जगह-जगह लापरवाही से डायवर्सन बनाने व आधा-अधूरा निर्माण कार्य के कारण जाम की समस्या भी लगातार बनी रह रही है। इससे घंटों जाम में फंसे वाहन धुआं से प्रदूषण अलग फैला रहे हैं। धूल और धुआं से यहां जिंदगी खतरे में है, लेकिन अधिकारियों की आंखों को न कुछ दिखाई दे रहा, न कानों को सुनाई दे रहा और न ही दिमाग को कुछ सूझ रहा है। इस तरह की प्रशासनिक लाचारी के कारण एजेंसी की मनमानी बढ़ती ही जा रही है। स्थिति यह है कि हराजी से लाल बाजार तक बसे गांवों के कितने ही बच्चे, बूढे टीबी, चर्म रोग, दमा और हृदय रोग से पीड़ित हो चुके हैं। इसी सड़क के किनारे बसे लोग बताते हैं कि सड़क पर उड़ रही धूल से उनका पूरा गांव—परिवार बीमारी की चपेट में है।
घरों की खिड़की 24 घंटे बंद रह रही है। चिकित्सक बताते हैं कि के आसपास लगभग सैकड़ों लोग चर्म रोग एवं टीबी से ग्रस्त हो चुके हैं। वे कहते हैं कि लोग धूल से बचें लेकिन जब सड़क पर धूल उड़ रही है और आना-जाना इसी से है तो लोग कर भी क्या सकते हैं। लोग लगातार बीमार हो रहे हैं।

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