केंद्र ने राज्यों को चेताया, बढ़ायें जांच की संख्या… क्लिनिकल गाइडलाइन भी बदली

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नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को चिट्ठी भेज कोरोना जांच बढ़ाने को कहा है। ऐसा पिछले कुछ दिनों से देश में कोरोना ग्राफ में आ रही कमी को देखते हुए किया गया है। राज्यों ने पिछले कुछ दिनों से जांच की संख्या घटा दी है। इसे कोरोना के प्रति शिथिल होने के तौर पर लेते हुए केंद्र ने चेताया है कि ऐसा करना खतरनाक हो सकता है। इसके साथ ही सरकार ने कोरोना के क्लिनिकल गाइडलाइन में संशोधन किया है। यह संशोधन इसलिए किया गया है कि भारत में ओमिक्रोन के ज्यादातर मरीजों में हल्के लक्षण हैं और अधिकतर मरीज होम आइसोलेशन में ही इलाजरत हैं। ऐसे में केंद्र ने नया गाइडलाइन जारी करते हुए स्टेरायड के न्यूनतम इस्तेमाल की वकालत या इससे बचने की सलाह दी है। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि यदि खांसी ज्यादा दिन तक रहती है तो मरीजों को ट्यूबरकुलोसिस और अन्य तरह की जांच भी करा ली जानी चाहिए।

इन मरीजों को होम आइसोलेशन में रखें

भारत में तीसरी लहर के मरीजों में यह देखा गया है कि खांसी ज्यादा दिन तक रह रही है। यदि यह तीन सप्ताह से आगे जारी रहती है तो हो सकता है कि टीबी या और भी कोई इन्फेक्शन हो। माइल्ड कोरोना तभी समझें जब मरीज को सांस लेने में तकलीफ न हो। उसेे सिर्फ नाक या गले में तकलीफ और हल्का बुखार हो। ऐसे लोगों को होम आइसोलेशन की सलाह दी जाती है।

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इन्हें अस्पताल में दाखिले की जरूरत

यदि किसी मरीज को सांस लेने में दिक्कत के साथ आक्सीजन लेवल 90—93 है तो उसे अस्पताल में भर्ती किया जा सकता है। ऐसे मरीजों को जरूरत पड़ने पर आक्सीजन सपोर्ट भी दिया जा सकता है। इन्हें मॉडरेट श्रेणी के कोरोना मरीजों में रखा जा सकता है।

ऐसे मरीजों को गंभीर श्रेणी में रखें

ऐसे मरीज जिनमें श्वसन की दर प्रति मिनट 30 से ज्यादा हो और सांस लेने में दिक्कत तथा आक्सीजन लेवल भी 90 से कम हो गया हो, उन्हें गंभीर मरीज की श्रेणी में रखना चाहिए। इन्हें आईसीयू में भर्ती किया जाना चाहिए और आक्सीजन सपोर्ट तथा इनवेसिव वेंटिलेशन दी जा सकती है। कोई अन्य अंग से जुड़ी गंभीर बीमारी न होने पर रेमडेसीविर का आपातकालीन उपयोग भी की जा सकती है। कहा गया कि 60 अधिक आयु वाले या हृदय, गुर्दे, शुगर और हाईपरटेंसन, जिगर तथा मोटापे की बीमारी से ग्रस्त मरीजों को कड़ी निगरानी में रखना जरूरी है।

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