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दलित सम्मान या अपनों के लिए टिकट! यूपी भाजपा से क्यों भाग रहे विधायक?

लखनऊ/नयी दिल्ली : विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यूपी भाजपा में जबर्दस्त भागमभाग मची है। भागने वाले अधिकतर मंत्री और विधायक अपने बेटा, बेटी या परिवार के किसी सदस्य के लिए टिकट चाह रहे थे। मौजूदा भागमभाग की धुरी बने योगी कैबिनेट के निवर्तमान मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य खुद अपनी बेटी को सांसद बनवा चुके हैं। अब वे अपने बेटे के लिए टिकट चाह रहे थे। पर ऐसा न होता देख उन्होंने दलित सम्मान का झंड उठाकर भाजपा छोड़ दी। यक्ष प्रश्न यह है कि इन सभी नेताओं को दलित सम्मान की फिक्र ऐन विधानसभा चुनाव के ठीक पहले ही क्यों हुई? भाजपा सरकार में मंत्री पद और विधाययिकी पाकर तो पूरे टर्म इन्होंने सत्ता की मलाई भोगी। फिर अचानक चुनाव के वक्त दलित सम्मान की याद कैसे आ गयी। साफ है कि इनकी निजी मांग पूरी नहीं हो रही थी जिससे वे बिदक गए।

आज चार विकेट गिरे, अबतक 11 का इस्तीफा

यूपी भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने भी कहा कि जिन्हें डबल इंजन का टिकट नहीं मिला वे पार्टी से भाग रहे हैं। आज गुरुवार को भी भाजपा के एक मंत्री और तीन विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। इन चारों माननीयों ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य की राह चलते हुए दलित सम्मान की बात कह यूपी भाजपा से इस्तीफा दे दिया। आज इस्तीफा देने वालों में प्रमुख नाम मंत्री धर्म सिंह सैनी का है जो स्वामी प्रसाद मौर्य के करीबी हैं। योगी कैबिनेट में आयुष मंत्री सैनी नकुड़ विधानसभा सीट से विधायक हैं।

विनय शाक्य व मुकेश वर्मा ने भी दिया झटका

सैनी के अलावा औरैया के बिधूना से भाजपा विधायक विनय शाक्य ने आज भाजपा से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने भी स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ जाने की बात कही। इसके पहले शिकोहाबाद से भाजपा विधायक मुकेश वर्मा ने भी बीजेपी छोड़ इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा लखीमपुर खीरी से भाजपा के विधायक बाला प्रसाद अवस्थी के भी इस्तीफा दे देने की सूचना है।

मौर्य के साथ शुरू हुई भाजपा में भागमभाग

भाजपा में मौजूदा भागमभाग तब शुरू हुई जब स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी छोड़ी। अब तक कुल 11 विधायकों ने यूपी भाजपा छोड़ी है जिनमें 8 मौर्य के करीबी हैं। इस्तीफा देने वाले सभी विधायकों ने स्वामी प्रसाद मौर्य को अपना नेता माना है। यहां चौंकाने वाली बात यह है कि कमोबेश इन सभी विधायकों की चाहत अपने किसी करीबी को भाजपा का टिकट दिलवाने की थी। लेकिन अब दलित सम्मान का झंडा उठाते हुए भाजपा और आरएसएस को कोसने के मिशन पर चल पड़े है।