मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी को? काशी पंचांग से जानें किस दिन मनेगा ‘दही-चूड़ा’
वाराणसी/पटना : हर वर्ष की तरह इस साल भी मकर संक्रांति की तिथियों को लेकर लोगों में भ्रम बना हुआ है। कोई इसे 14 जनवरी को मनाने की बात कर रहा है तो कोई 15 जनवरी को। ज्योतिषविदों ने बताया कि यह कंफ्यूजन सूर्य के मकर राशि में गोचर करने के बारे में अलग-अलग पंचांगों में बताए अलग-अलग समय के कारण हो रहा है। चूंकि बिहार/झारखंड में काशी पंचांग ही अधिकतर लोग मानते हैं। इसलिए काशी पंचांग के अनुसार इन प्रदेशों में 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी।
क्या कहते हैं भिन्न-भिन्न पंचांग
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार पौष माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मकर संक्रांति मनाई जाती है। संक्रांति की तिथि सूर्यदेव की चाल तय करती है। जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। लेकिन इस साल सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का समय भिन्न—भिन्न पंचांगों में भिन्न—भिन्न है। काशी पंचांग में सूर्य 14 जनवरी की रात्रि में मकर राशि में गोचर कर रहा है। जबकि मार्त्तण्ड पंचांग के अनुसार सूर्य का गोचर 14 जनवरी को दोपहर में ही हो रहा है।
इस दिन मनेगी मकर संक्रांति
काशी पंचांग के अनुसार सूर्य देव अपने स्वाभाविक संचरण के क्रम में 14 जनवरी 2022 दिन शुक्रवार को रात में 8:34 बजे अपने पुत्र शनि देव की पहली राशि मकर मे प्रवेश करेंगे और इसी के साथ अपनी उत्तरायण की यात्रा भी आरम्भ करेंगे। मकर राशि में सूर्य देव 15 जनवरी की सुबह से 13 फ़रवरी 2022 दिन रविवार की सुबह 6:49 बजे तक संचरित रहेंगे। काशी से प्रकाशित पंचांग के आधार पर सूर्य की मकर राशि में संक्रांति रात में होने के कारण संक्रांति का पुण्यकाल अगले दिन 15 जनवरी दिन शनिवार को 40 घटी यानी 16 घण्टे तक मानी जाएगी अर्थात संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी 2022 दिन शनिवार को दिन में 12 बजकर 34 मिनट तक माना जायेगा और खिचड़ी का प्रसिद्ध पर्व हर्सोल्लास के साथ मनाया जाएगा एवं मकर संक्रांति का पवित्र स्नान दान मध्यान्ह काल 12:34 बजे तक किया जाएगा।
मकर संक्रांति पर ग्रहों की स्थिति
इस दिन ग्रहों की स्थितियां परम पुण्यदायक बन रही है। जहां ग्रहों में न्यायाधीश की पदवी प्राप्त शनि देव अपनी स्वराशि मकर में पिता सूर्य देव एवं मित्र ग्रह बुध के साथ गोचर करेंगे, वहीं मंगल अपनी राशि वृश्चिक में रूचक योग के साथ गोचर करते हुए अपना सम्पूर्ण शुभ प्रभाव प्रदान करेंगे। चन्द्रमा दिन में 10 बजे तक उच्च राशि वृष में रहकर इस पर्व की शुभता को बढ़ाएंगे और देवगुरु बृहस्पति शनि देव की दूसरी राशि कुम्भ में स्वगृहाभिलाषी रहकर इस दिन के पुण्यफल को बढ़ाएंगे। इस प्रकार इस दिन शश एवं रूचक दो पंच महापुरुष योग संक्रांति के पुण्य फल में वृद्धि करेंगे।