शराबबंदी कानून को भारत के मुख्य न्यायाधीश ने बताया अदूरदर्शी फैसला, अब क्या करेंगे नीतीश?

0

डेस्क : चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना ने बिहार में शराबबंदी फैसले को अदूरदर्शी कानून बताया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि शराबबन्दी कानून के कारण अदालतों में केसों का ढेर लग चुका है।

सीजेआई रमना आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा में सिद्धार्थ लॉ कॉलेज में भारतीय न्यायपालिका : भविष्य की चुनौतियों पर व्याख्यान को संबोधित करते हुए कहा कि विधायिका विधेयकों की जांच बढ़ाने के लिए संसद की स्थायी समिति प्रणाली का पूरा उपयोग करने में सक्षम नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि इसमें बदलाव होगा।

swatva

कानून बनाने से पहले बहस जरूरी

नीतीश के शराबबंदी कानून का उदाहरण देते हुए CJI रमना ने कहा कि किसी भी तरह के कानून बनाने के लिए दूरदर्शिता की कमी का असर सीधे अदालत पर पड़ता है, अदालत के कामकाज इससे प्रभावित होते हैं। बिहार निषेध अधिनियम 2016 के कारण हाइकोर्ट में जमानत के आवेदन भरे हैं। इस कारण एक साधारण जमानत के मामले निपटाने में एक साल का वक्त लग रहा है। इसलिए कानून बनाने से पहले उस पर बहस होनी चाहिए, अन्यथा बगैर दूरदर्शी निर्णय के कानून बना देने से मुकदमेबाजी की भीड़ बढ़ती है और अदालत के कामों पर असर पड़ता है।

विदित हो कि बिहार में शराबबंदी कानून के कारण मुकदमेबाजी की काफी संख्या है, जिसको लेकर हाइकोर्ट ने नाराजगी जताई थी, इसके बाद राज्य सरकार इन मुकदमों के निपटारों के लिए प्रत्येक जिले में शराब के मामले सुलझाने के लिए स्पेशल कोर्ट बनवा दिया। बावजूद इसके मामला स्पेशल कोर्ट से रिजेक्ट होने के बाद हाइकोर्ट पहुंच रहे हैं।

अब क्या प्रतिक्रिया देंगे नीतीश?

यह भी स्मरण रहे कि शराबबंदी कानून को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इतनी आग्रही हैं कि उन्होंने यहां तक घोषणा कर रखी है कि जो भी इस कानून के विरोध में बोलेगा, उस पर कार्रवाई करेंगे। अब देखना दिलचस्प होगा कि मुख्य न्यायाधीश के शराबबंदी संबंधी बयान के बाद नीतीश कुमार की क्या प्रतिक्रिया होती है?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here