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शराबबंदी के पक्ष में और बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के खिलाफ अभियान चलाते रहिए- मुख्यमंत्री

विकास के साथ समाज सुधार होगा तो समाज, राज्य और देश आगे बढ़ेगा

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीते दिन गोपालगंज के मिंज स्टेडियम में बिहार में पूर्ण नशामुक्ति, दहेज प्रथा उन्मूलन एवं बाल विवाह मुक्ति हेतु समाज सुधार अभियान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम में आप सबों की उपस्थिति के लिए धन्यवाद देता हूं। समाज सुधार अभियान चलाया जा रहा है। छह दीदियों ने अपने अनुभव को साझा किया। शराबबंदी, बाल विवाह, दहेज प्रथा को लेकर समाज सुधार अभियान जो चलाया जा रहा है, इसमें हमलोग सारी चीजों को लेकर चल रहे हैं।

महिलाओं की मांग पर शराबबंदी लागू की गई। जननायक कर्पूरी ठाकुर जी जब वर्ष 1977 में मुख्यमंत्री बने थे तो उन्होंने शराबंदी लागू किया था लेकिन दो वर्ष बाद फिर से शुरु कर दिया गया । हमारे मन में शराबबंदी की बात शुरु से थी लेकिन हमारे मन में यह आशंका थी कि शराबबंदी लागू कर पाएंगे कि नहीं। विकास के साथ-साथ हमलोग समाज सुधार के लिए भी काम कर रहे हैं।

नीतीश ने कहा कि आपको पता है हमलोग शराब को लेकर वर्ष 2011 से अभियान चला रहे हैं। इसको क्रियान्वित करने को लेकर मेरे मन में शंका थी, लेकिन जब वर्ष 2015 में महिलाओं के एक सम्मेलन में मैं गया हुआ था, महिलाओं के विकास की बातें हो रही थीं। जुलाई महीना था, उसके तीन माह बाद चुनाव होना था। जैसे ही हम बोलकर बैठे कि पीछे से महिलाओं ने आवाज लगायी शराब बंद कराईये। उसके बाद वापस मैं माइक पर आया और कहा कि अगली बार काम करने का मौका मिलेगा तो शराबबंदी लागू करुंगा। चुनाव में जब हमलोगों को फिर से काम करने का मौका मिला तो सबसे पहले हमने 26 नवंबर को बैठक की और सब बातों को तय किया।

विधानसभा और विधान परिषद के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से कानून पास हुआ। सभी सदस्यों ने इसके पक्ष में शपथ ली। 1 अप्रैल 2016 को पहले ग्रामीणइलाके में देशी और विदेशी शराब पर हमलोगों ने रोक लगायी, जबकि शहरी इलाकों में विदेशी शराब बंद नहीं की गयी थी। शहरों में महिलाओं, लड़कियां एवं पुरुषों ने शराब के आवंटित दुकानों के खोले जाने पर कड़ा विरोध जताया और दुकानों को खोलने नहीं दिया। उसके बाद हमने निर्णय लिया और 5 अप्रैल 2016 को राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी गई। वर्ष 2016 में सभी नौ प्रमण्डलों में महिलाओं एवं जीविका दीदियों के साथ हमने बैठक की। निरंतर यह अभियान चल रहा है। एक जीविका समूह की महिला ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि पहले मेरे पति काम से लौटते थे तो दारू पीकर आते थे, परिवार में सभी को बुरा लगता था, देखने में भी वे खराब लगते थे।

अब जब शराबबंदी हो गई तो घर आते समय वे बाजार से सब्जी, फल लेकर आते हैं और घर में आते हैं तो मुस्कुराते हैं। अब देख में अच्छे लगते हैं, यह कितना बड़ा परिवर्तन हुआ है। समाज में कुछ लोग गड़बड़ करने वाले होते हैं। किसी मजहब, धर्म के मानने वाले लोग हों, कितना भी अच्छा काम कीजिएगा कुछ लोग तो गड़बड़ी करेंगे ही। शराबबंदी का कितना असर पड़ा है, आप खुद ही देख लीजिए । गड़बड़ शराब पीकर इसी गोपालगंज में लोग मरे थे। 9 गड़बड़ करने वालों को कोर्ट ने फांसी की सजा सुना दी। आप सोच लीजिए गड़बड़ करेंगे तो क्या होगा। जो महिलाएं इस कारोबार में शामिल थीं उनको आजीवन कारावास की सजा हो गई। गड़बड़ करने वालों से सजग और सतर्क रहने की जरुरत है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब पीने वालों को समझना चाहिए कि शराब खराब चीज है। आप देख लीजिए इस शराब के पीने से कितने लोग मर गए। हम तो हमेशा इसके प्रति सजग रहते हैं। आपको सजग और सचेत रहने के लिए हमलोग अभियान चला रहे हैं। जीविका दीदियों से कहेंगे कि आज दीदियों ने जो बातें कहीं हैं अपने उत्थान के लिए जरूर उन बातों का ध्यान रखिये। समाज कितना आगे बढ़ रहा है। महिलाओं के उत्थान के लिए कितना काम किया जा रहा है। स्वयं सहायता समूह का यहां बहुत कम काम था। हमलोगों ने जीविका समूह को बनाया। वर्ष 2006 में मुजफ्फरपुर के 2-3 जगहों पर जाकर हमने इनके कार्यों को देखा था। स्वयं सहायता समूह बनाकर महिलाएं काम कर रही थीं।