विस्मृत योद्धा प्रशिक्षुता कार्यशाला का उद्घाटन, वक्ताओं ने कहा- युवा पीढ़ी में राष्ट्रीय चेतना का भाव प्रवाहित करना नितांत आवश्यक
पटना : राजधानी पटना के बिहार इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के सभागार में दिनांक 20/12/2021 (सोमवार) को शोध, बिहार प्रान्त एवं दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, गया के तत्वावधान ‘विस्मृत योद्धा’ प्रशिक्षुता कार्यशाला का उद्घाटन पटना विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो० अजय कुमार सिंह द्वारा किया गया।
इतिहास की पुस्तकों में जिन्हें जगह नहीं मिली उनकी खोज करने की कोशिश
इस कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए प्रो० सिंह ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी में राष्ट्रीय चेतना का भाव प्रवाहित करना नितांत आवश्यक है। इस दृष्टि से अगर वैसे स्वाधीनता सेनानियों की खोज करने की कोशिश की जा रही है जिन्हें इतिहास की पुस्तकों में जगह नहीं मिली है तो यह बहुत महत्त्वपूर्ण कार्य है।
‘भारत माता की जय’ प्रेरणादायी नारा
इसके साथ ही इतिहास के विद्वान और दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ० सुधांशु कुमार झा ने कहा कि ‘भारत माता की जय’ वह प्रेरणादायी नारा था जिसने भारत के कोटि-कोटि जनमानस को आजादी के युद्ध में शरीक होने को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि उन्हें सिर्फ यह पता था कि हमारी भारत माता पराधीनता की बेड़ियों में जकड़ी हुई हैं और हमें अवसर मिला है उन्हें इस पराधीनता से मुक्त करने का अगर इस भूमि के लिए शहादत भी हो तो कोई गम नहीं।
न केवल भारत के इतिहास को बदलना है बल्कि सम्पूर्ण विश्व के इतिहास को बदलना है
वहीं, इस कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ० अंजनी श्रीवास्तव ने कहा कि हमें नया नैरेटिव सेट करना है। हमें न केवल भारत के इतिहास को बदलना है बल्कि सम्पूर्ण विश्व के इतिहास को बदलना है। आज तक हमें यही बताया गया है कि ‘मित्र राष्ट्र’ लिबरल हैं लेकिन सच्चाई यह है कि इंग्लैंड जैसे देश ने भारत जैसे देश में क्रूरता की इंतहा कर दी थी।
आजादी से 2014 तक का वर्ष इतिहास की दृष्टि से भटकाव का वर्ष
इसके अलावा इतिहास के विद्वान प्रो० राजीव रंजन जी ने कहा कि आजादी से 2014 तक का वर्ष इतिहास की दृष्टि से भटकाव का वर्ष रहा, 2014 से 2021 प्रयास का वर्ष है और आने वाले वर्षों में फल की प्राप्ति होगी।
अमृत महोत्सव में हमें ‘स्व’ की तलाश पर देना होगा बल
जबकि विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्रीनिवास ने कहा कि इस अमृत महोत्सव में हमें ‘स्व’ की तलाश पर बल देना है। निलगंज का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि किस प्रकार आईएनए के फौजियों को मार दिया गया था।
गुमनाम नायकों’ को ढूंढा जाना इसलिए आवश्यक है क्योंकि हमारा इतिहास अधूरा
इसके अलावा तृतीय सत्र में प्रो० नगेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि ‘गुमनाम नायकों’ को ढूंढा जाना इसलिए आवश्यक है क्योंकि हमारा इतिहास अधूरा है। वहीं, विद्यार्थ परिषद बिहार के प्रदेश संगठन मंत्री डॉ०सुग्रीव कुमार ने कहा कि बिहार की भूमि योद्धाओं की भूमि है लेकिन खूदिराम बोस जैसे नायकों को यहीं के कुछ लोगों ने गिरफ्तार करवा दिया था। आज खूदिराम बोस इस लिए भी स्मरणीय हैं क्योंकि वे पैदल ही कलकत्ता से बिहार के लिए निकल गए थे। ऐसी दृढ़ इच्छाशक्ति की आज के युवाओं को ज़रूरत है।
आजादी की लड़ाई में बिहार अधिक था जागरूक
इसके साथ ही साथ बिहार-झारखंड के क्षेत्रीय संगठन मंत्री निखिल रंजन ने कहा कि आजादी की लड़ाई के दौरान लगभग 9 बार गाँधीजी का आगमन बिहार की भूमि पर हुआ। इससे स्पष्ट होता है कि आजादी की लड़ाई में बिहार कितना जागरूक था। उन्होंने गिरमिटिया मजदूरों के विद्रोह की चर्चा की। उन्होंने कहा कि बिहार का हर जिला अंग्रेजों के खिलाफ खड़ा था। मंच का संचालन शोध के प्रांत प्रमुख गौरव रंजन ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में शोधार्थी,छात्र और अभाविप के कार्यकर्ता उपस्थित रहे।