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केंद्र सरकार ‘द्वारा वर्क फ्रॉम होम’ के लिए नियम और कायदे बनाना ज़रूरी – कैट

कन्फेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) बिहार समेत पूरे देश ने एक बार दोबारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि वे संबंधित मंत्रालय और अधिकारियों को निर्देश दें कि नवीन रूप से विकसित वर्क फ्रॉम होम कार्यपध्दति के लिए आवश्यक नियम एवं कायदे तैयार करें, जिससे उत्पादकता में वृद्धि हो, कार्य कुशलता बढ़े और लोग बिना किसी ज्यादा सोच विचार के तेजी से उभरती इस कार्यपध्दति को स्वीकार करें। कैट ने पूर्व में 8 सितम्बर, 2020 को प्रधानमंत्री मोदी को एक ज्ञापन भेजकर यह माँग की थी ।

कैट बिहार चेयरमैन कमल नोपानी, अध्यक्ष अशोक सोनार व महासचिव डा रमेश गांधी ने कहा कि कोविड अवधि के दौरान विकसित किए गए वर्क फ्रॉम होम की नई कार्य प्रणाली बदले हुए वक्त की माँग हैं। कर्मचारियों एवं नियोक्ताओं के बीच किसी भी झगड़े या विवाद से बचने के लिए वर्क फ्रॉम होम प्रणाली के सुचारू रूप से चलाने के लिए एक मजबूत और निर्देशित नियमों एवं कायदों की बेहद जरूरत है !

कैट बिहार के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुकेश नंदन व संयुक्त महासचिव आर सी मल्होत्रा ने कहा है कि कोविड 19 ने भारत और दुनिया भर में एक नई कार्यप्रणाली को जन्म दिया है, जो वक़्त और हालात को देखते हुए स्वयं ही अस्तित्व में आई है और जिसको दुनिया एवं देश भर में एक सफल मॉडल के रूप में अपनाया गया है। वर्क फ्रॉम होम कार्यप्रणाली ने कार्यालय की जरूरत को बेमानी करार देते हुए विपरीत परिस्थितियों में भी दूर से काम करने की नई प्रणाली को जन्म दिया है। यह प्रणाली केवल कॉर्पोरेट या उद्योग क्षेत्र ही नहीं, बल्कि छोटे व्यवसायों से जुड़े स्व-संगठित क्षेत्र ने भी इसे एक बेहतर विकल्प के रूप में अपनाया है।

यह मॉडल जिसमें कई अन्य लाभों के साथ बुनियादी ढांचे की लागत को कम करने की क्षमता है, निश्चित रूप से किसी भी संकट का समाधान अब हमेशा रहने वाला है। यह व्यापार और वाणिज्य का एक अभिन्न अंग बन गया है। कार्यशील मॉड्यूल में इसे एक नए गतिशील कार्य मॉडल बताते हुए कैट ने प्रधान मंत्री मोदी से भविष्य में किसी भी स्तर पर नियोक्ता और कर्मचारियों के बीच विवाद और संघर्ष को रोकने के लिए वर्क फ्रॉम होम वर्किंग मॉडल के लिए एक विस्तृत नियम और कायदा तैयार करने का आग्रह किया। चूंकि यह एक नई प्रणाली है और देश में वर्क फ्रॉम होम कार्य प्रणाली के लिए कोई नियम अथवा कानून नहीं है, इसलिए इससे जुड़े सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए एक व्यापक और मजबूत नीति और दिशानिर्देशों की आवश्यकता है।

कैट पटना प्रमंडल अध्यक्ष प्रिंस कुमार राजू व सारण प्रमंडल अध्यक्ष वरुण प्रकाश ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार किसी भी कंपनी के खर्च का लगभग 17% इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए एक लागत माना जाता है और वर्क फ्रॉम होम कॉन्सेप्ट से काम कराने में कंपनियों को इन्फ्रास्ट्रक्चर लागत में लगभग 12% की बचत होती है जबकि शेष 5% लागत कार्यालय के बुनियादी ढांचे को बनाए रखने और चलाने में खर्च हो जाती है। इसके अलावा इस कार्य प्रणाली से सड़कों पर यातायात को कम करने, सार्वजनिक परिवहन पर भार को कम करना,प्रदूषण को काफी हद तक कम करने में मदद मिलती है।

कोविड लॉक डाउन और उसके बाद भी वर्क फ्रॉम होम मॉडल सरकार, बैंकिंग क्षेत्र, व्यापार, उद्योग, स्वास्थ्य सेवाओं, शैक्षिक क्षेत्र, मीडिया, मनोरंजन, बीमा, वित्तीय सेवाओं और विभिन्न अन्य क्षेत्रों सहित सभी में समान रूप से चालू है । न केवल व्यक्तिगत बातचीत में बल्कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों, सम्मेलनों, बैठकों, संगठनों की एजीएम और राजनीतिक रैलियों सहित कई अन्य कार्यक्रमों का आयोजन इस वर्चुअल दुनिया पर किया गया, जो वर्क फ्रॉम होम मॉडल की उच्च सफलता और लोगों द्वारा इसे तेजी से अपनाने को दर्शाता है। इसे सदी के अब तक से नवीनतम और सफलतम प्रयोग के रूप में माना जा सकता है जिसमें न केवल लागत को कम करने बल्कि मानव शक्ति ऊर्जा के घंटे की बचत और काम के तेजी से निष्पादन की क्षमता है। इस मॉडल की सफलता और स्वीकृति को वीडियो कांफ्रेंस के व्यापक उपयोग के दृष्टिकोण से भी जाना जा सकता है जिसे लोकप्रिय रूप से “वी सी ” के नाम से जाना जाता है और यह देश भर में एक घरेलू नाम बन गया है।

सोनार व गांधी दोनों ने आगे कहा कि इसके लिए बनाए जाने वाली नीति में कार्य के घंटे निश्चित करने, कार्य के लिए आवश्यक उपकरण, कार्य के लिए ज़रूरी बिजली की खपत एवं इंटर्नेट आदि के ख़र्चों का पैसा कर्मचारियों को किस अनुपात में दिया जाए तथा कर्मचारी की क्या ज़िम्मेदारी हो , कार्य के समय केवल कार्य हो आदि के पैमाने तैयार किए जाएँ । सभी स्टेटहोल्डर्स के साथ चर्चा कर एक मज़बूत नीति का निर्माण किया जाए।