अंखफोड़बा काण्ड के पीड़ितों के लिए न्याय की किरण बनेंगे चिराग

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पटना : लोजपा सांसद चिराग पासवान ने मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही के चलते आंख गवाने वाले मरीजों से जुड़ी मामले की निरीक्षण के लिए एक प्रतिनिधि मंडल की टीम गठित किया है। जिसमें रेणु कुशवाहा, सत्यानन्द शर्मा, डॉ. शाहनवाज़ अहमद कैफ़ी और संजय पासवान शामिल रहेंगे।

चिराग ने अपने टीम से कहा है कि आप सभी मुजफ्फरपुर जाकर इस मामले से जुड़ी विस्तृत जानकारी एकत्रित करें और इससे जुड़ी रिपोर्ट को केंद्रीय कार्यालय में लाकर दें। इसके आगे उन्होंने कहा कि यह एक बेहद ही गंभीर और संवेदनशील मामला है। इसमें डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से कई लोगों ने अपनी आंखें गंवा दी।

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16 साल से मुख्यमंत्री फिर भी बद से बदतर स्वास्थ्य सुबिधायें

बता दें कि, चिराग हर ममाले को गंभीरता से लेते हैं और मुखर होकर सोशल मीडिया या फिर अन्य माध्यमों से आवाज उठाते रहते हैं। वैसे अपने ट्वीट के माध्यम से पूरे मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जिम्मेदार ठहराया था। चिराग पासवान ने कहा था कि “मुख्यमंत्री अपनी आंखों का जांच दिल्ली के डॉक्टरों से करवाते हैं और आम जनता के लिए अंखफोड़बा अस्पताल? नीतीश कुमार बिहार सरकार में 16 साल से मुख्यमंत्री हैं फिर भी स्वास्थ्य की ऐसी बदतर सुविधा ? जवाब दे नीतीश जी की जिनकी आंखें चली गई वह अब क्या करें ?’

प्रदेश राजद ने भी एक छह सदस्यीय टीम को जांच के लिए भेजी थी

ज्ञातव्य हो कि इससे पहले मुजफ्फरपुर आई हास्पिटल में मोतियाबिंद आपरेशन के बाद मरीजों के संक्रमण के मामले की जांच करने शनिवार को प्रदेश राजद ने भी अपनी एक छह सदस्यीय टीम को जांच के लिए भेजी थी। टीम के संयोजक विधायक राजवंशी महतो ने कहा कि अस्पताल की लापरवाही से गरीबों को अपनी आंख गंवानी पड़ी है, इसके लिए सरकार जिम्मेवार है। सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था ध्वस्त है।

26 से अधिक लोगों की एक आंख की रोशनी चली गई

मालूम हो कि 22 नवंबर को सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर 1 बजे तक मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में फ्री मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर का आयोजन किया गया था। जिसमें 300 से अधिक मरीजों के आँखों का इलाज हुआ, जिसमें 26 से अधिक लोगों की एक आंख की रोशनी चली गई थी। जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने सभी रोगियों को आनन-फानन में बेहतर इलाज के नाम पर पटना भेज दिया। जहाँ स्पेशलिस्ट डॉक्टरों ने इंफेक्शन की बात बताते हुए 26 में से 17 रोगियों की एक आंख निकाल दिया। शेष रोगियों के लिए भी यही आखिरी इलाज बताया।

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