पटना : बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने शिमला में आयोजित पीठासीन पदाधिकारियों के 82वें सम्मेलन में भाग लेने के बाद पटना पहुँचने पर शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से 1 अणे मार्ग स्थित उनके सरकारी आवास पर शिष्टाचार मुलाकात की। मुलाकात के दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री को शिमला सम्मेलन में विभिन्न विषयों के संबंध में पारित कुल 11 संकल्पों के संबंध में विस्तार से बताया।
29 नवम्बर, 2021 से प्रारंभ हो बिहार विधान सभा के शीतकालीन सत्र के बाद नये तकनीक की मदद से सदन में सदस्यों की जनहित में सार्थक विमर्श हेतु बेहतर भागीदारी को सुनिश्चित करने हेतु इनके लिए एक प्रबोधन सत्र का आयोजन करने पर भी बिहार विधान सभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से विमर्श किया।
शिमला में आयोजित अखिल भारतीय पीठासीन पदाधिकारियों के सम्मेलन के शताब्दी वर्ष समारोह तथा इसके 82वें सम्मेलन में निम्नलिखित संकल्प पारित किये गये।
संकल्प सं. 1
अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन वर्ष में दो बार आयोजित किया जाय। एक सम्मेलन दिल्ली में तथा दूसरी किसी विधायिका द्वारा आयोजित किया जाय।
संकल्प सं. 2
किसी भी विधान सभा के पुनर्गठन के तत्काल बाद नवनिर्वाचित विधायकों के क्षमता संवर्धन एवं प्रशिक्षण हेतु प्रबोधन कार्यक्रम अनिवार्य रूप से आयोजित किये जाये।
संकल्प सं. 3
सर्वश्रेष्ठ विधान परिषद् / विधान सभा पुरस्कार के मानक तय करने के लिए पीठासीन अधिकारियों की एक समिति का गठन किया जाय।
संकल्प सं. 4
राष्ट्रपति एवं राज्यपाल के अभिभाषण एवं प्रश्नकाल के दौरान सदन में किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं हो इस हेतु सभी दलों से चर्चा करके उनकी सहमति प्राप्ति की जाय।
संकल्प सं. 5
विधायिका की निगरानी, विधायन एवं वित्तीय नियंत्रण की जिम्मेदारी में समितियों के महत्वपूर्ण योगदान पर पुनर्विचार हेतु पीठासीन अधिकारियों की एक समिति का गठन किया जाय।
संकल्प सं. 6
सम्मेलन ने अपने पिछले एक शताब्दी के कार्य निष्पादन पर संतोष व्यक्त किया और महसूस किया कि भारत के विधायी मण्डलों ने 1921 तक अपनी स्वर्णिम यात्रा में अपने निगरानी, विधायन एवं वित्तीय नियन्त्रण के दायित्व का अत्यन्त सफलतापूर्वक निर्वहन किया है। भारत के विधान मण्डलों शिखर संगठन अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन ने अपने लक्ष्यों एवं उद्देश्यों की प्राप्ति की दिशा में अनेक महत्वपूर्ण एवं दूरगामी निर्णय लिए हैं।
साथ ही सम्मेलन आगामी सौ वर्षों में 21वीं सदी में निरंतर हो रहे तकनीकी बदलाव, लोक अपेक्षाओं-आकांक्षाओं की नयी करावट के द्वारा कार्यपालिका एवं विधायिका के सामने खड़ी की गयी चुनौतियों यथा वैश्वीकारण अर्थव्यवस्था के उदारीकारण, सूचना एवं प्रौद्योगिकी के बढ़ते प्रयोग, विकास तंत्र की बढ़ती हुई जटिलताओं, विधायी क्रियाकलापों एवं प्रक्रियाओं में जनहित को केंद्रित करते हुए हो रहे बदलावों को दृष्टिगत रखते हुए भारत के विधान मण्डलों को भी अपनी विधायी प्रक्रियाओं, नियमावलियो एवं गतिविधियों में यथाशीघ्र समय के अनुरूप परिवर्तन करने की आवश्यकता है। इस अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दे पर भी सदैव की तरह संसद को नेतृत्व प्रदान करने की आवश्यकता है। अतः संसद एक प्रारूप नियमावली अविलम्ब विकसित करने की पहल करेगी। इस मॉडल को सभी विधायिकायें अपनी स्वायत्ता के अनुरूप अपने सदन की आवश्यकता अनुसार अंगीकार करेंगी।
अतः अपने संवैधानिक कर्तव्यों और दायित्वों का और सफलतापूर्वक निर्वहन करने हेतु सम्मेलन भारत की स्वाधीनता के अमृत काल (75 वर्ष) में राष्ट्रहित में पुनः कृतसंकल्पित होता हैं।
संकल्प सं. 7
सम्मेलन में 1921 से 2021 के बीच हुए सभी प्रस्तावों / संकल्पों / निर्णयों पर की गई कार्रवाई की समीक्षा की सम्मेलन का मत है कि नई शताब्दी की शुरूआत में आगामी सम्मेलनों में निम्र विषयों पर समुचित कार्रवाई कर इनका निष्पादन किया जाय।
(1) विधान मण्डलों की कार्यवाही का सुचारू एवं निर्वाध संचालन
(2) विधान मण्डलों की नियमावलियों में एक रूपता, (3) विधायिकाओं की वितीय स्वायत्तता;
(4) संविधान की दसवीं अनुसूची की समीक्षा
(5) विधायिकाओं में समितियों के तंत्र की समीक्षा।
संकल्प सं. 8
संसद एवं सभी विधानमण्डलों द्वारा सदन की सार्वजनिक की गई कार्यवाहियों को सूचना एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से एक मंत्र लाएगें।
संकल्प सं. 9
सम्मेलन के शताब्दी वर्ष में हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश विधान सभा को वित्तीय स्वायत्ता देने के ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत करते हुए पुन: संकल्प करते हैं कि समस्त विधायिकाओं को भी संसद के दोनों सदनों को प्राप्त वित्तीय स्वायत्ता के अनुरूप स्वायत्ता प्राप्त हो ।
संकल्प सं. 10
स्थानीय निकायों एवं पंचायती राज संस्थाओं के प्रभावी संचालन हेतु आदर्श नियमावली विकसित की जाए एवं इन संस्थाओं को प्रभावी बनाने के लिए वित्तीय संसाधान उपलब्ध करवाए जाय।
संकल्प सं. 11
आजादी के अमृत वर्ष पर पीठासीन अधिकारियों के शताब्दी वर्ष सम्मेलन में यह संकल्प लिया कि ग्राम पंचायत से विधान मण्डल व संसद तक लोक कर्तव्यों के प्रति जन जागृति अभियान चलाएगें।