पटना : हिंदी साहित्य की मशहूर लेखिका और कथाकार सुप्रसिद्द लेखक, साहित्यकार और हंस पत्रिका के संपादक रहे राजेंद्र यादव की पत्नी मन्नू भंडारी का आज 15 नवंबर 2021 को 90 साल की उम्र निधन हो गया। मन्नू भंडारी का जन्म 03 अप्रैल 1931 को मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के भानपुर गाँव निवासी सुखसम्पत राय भंडारी के घर हुआ था।
पाँच भाई बहन के पिता भी थे साहित्यकार
मन्नू भंडारी के पिता सुखसम्पत राय भी एक प्रसिद्ध लेखक थे। साथ ही समाज सुधारक भी थे। माता अनूप कुंवारी धार्मिक, उदारी, स्नेहशील कुशल गृहिणी थीं। मन्नू भंडारी के चार भाई बहन थे। जिसमे मन्नू भंडारी सबसे छोटी थीं। मन्नू भंडारी का बचपन का नाम मेहन्द्र कुमारी थी जो की राजेंद्र यादव से शादी होने के बाद भी मेहन्द्र भंडारी ही रही लेकिन मन्नू ने महेंद्र को हटाकर बचपन में प्यार से बोले जाने वाले नाम को अपनाकर मेहन्द्र भंडारी से मन्नू भंडारी रख लीं। मन्नू ने स्कूली शिक्षा अजमेर के ‘सावत्री गर्ल्स हाई स्कूल’ से प्राप्त की और कलकत्ता से BA की डिग्री और MA की पढाई करके वर्षों तक दिल्ली के मिरांडा हाउस कॉलेज में पढ़ाया।
नई कहानी आंदोलन की प्रमुख मन्नू भंडारी
साठ के दशक में हिंदी साहित्य में ‘नई कहानी’ आंदोलन शुरू हुआ। उसमें राजेंद्र यादव, कमलेश्वर के साथ मन्नू भंडारी का नाम प्रमुख था। जो अपनी लेखनी से पुरुषवादी समाज पर भी जोरों का चोट करती थीं।
पति के साथ मिलकर भंडारी ने लिखी पहली उपन्यास
मन्नू भंडारी अपने कार्यकाल में कहानी और उपन्यास दोनों लिखे हैं। ‘मैं हार गई’ , ‘एक प्लेट सैलाब’ , ‘यही सच है’ , ‘त्रिशंकु’ , ‘तीन निगाहों की एक तस्वीर’ , जैसे कई कालजई कहानियों की सृजनहारा हैं। मन्नू भंडारी का पहला उपन्यास ‘एक इंच मुस्कान’ 1961 में प्रकाशित हुआ था। इस उपन्यास को मन्नू भंडारी ने पति राजेंद्र यादव के साथ मिलकर लिखा था। जो काफी लोकप्रिय हुआ था, जिसमें दो महिलाओं की एक ही पुरुष से प्रेम कहानी दिखाई गई थी। इस उपन्यास में पुरुष संवादों को राजेंद्र यादव ने किया, जबकि दोनों महिलाओं को अभिव्यक्त करने का काम मन्नू भंडारी ने किया था। हालांकि, बाद में मन्नू भंडारी और राजेंद्र यादव में अलगाव हो गया था।
बिछोह में सृजित हुआ आपका बंटी
इसके बाद मन्नू भंडारी का दूसरा उपन्यास आपका बंटी काफी लोकप्रिय हुआ था। ऐसा कह जाता है कि यह उपन्यास मन्नू भंडारी ने राजेंद्र यादव से अलगाव होने पर लिखी थीं। इस उपन्यास एक ऐसे बच्चे की कहानी पर आधारित था, जिसके माता-पिता का तलाक हो गया है और दोनों ने अलग-अलग लोगों से शादी कर ली थी। पैरेंट्स की शादी के टूटने का बच्चे पर क्या असर होता है, उसका चित्रण इस उपन्यास में देखने को मिला था। यह अपने आप में हिंदी साहित्य में नई तरह की कहानी का लेखन था, जिसकी काफी सराहना की गई थी।
मन्नू भंडारी के उपन्यास पर बनी फिल्म ने जीता था फिल्मफेयर
मन्नू भंडारी के लेखन की काफी सराहना की गई और उन पर आधारित फिल्में भी आईं। ऐसी ही एक मशहूर फिल्म रजनीगंधा थी, जो 1974 में रिलीज हुई थी। जो बासु चटर्जी द्वारा बनाया गया था यह फिल्म उनकी शॉर्ट स्टोरी ‘यही सच है’ पर आधारित थी। यही नहीं इस फिल्म ने फिल्मफेयर अवॉर्ड भी जीता था।
बेटी ने बताया- 10 दिन से थीं बीमार, मंगलवार को दिल्ली में होगा अंतिम संस्कार
मन्नू भंडारी की बेटी रचना यादव ने बताया कि वह करीब 10 दिन से बीमार थीं। उनका हरियाणा के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। जहां आज दोपहर को उन्होंने अंतिम श्वांस ली। रचना ने बताया कि मन्नू भंडारी का अंतिम संस्कार मंगलवार को दिल्ली के लोधी रोड स्थित श्मशान घाट में किया जाएगा।