पटना : राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने सरकार के विकास संबंधी दावे पर कटाक्ष करते हुए पूछा है कि उसे कहाँ छुपाकर रखे हुए हैं। सत्ता में बैठे लोगों के भाषण , प्रकाशन और विज्ञापन के अलावा वह कहीं दिखाई नहीं पड़ता है। सोलह वर्षों के शासनकाल में एनडीए के नेता काम के नाम पर लालू परिवार और राजद नाम की माला जपने के अलावा और कुछ बोल हीं नहीं सकते हैं।
राजद नेता ने कहा कि सोलह वर्षों के शासन में शिक्षा की यदि बात की जाये तो नया एक भी विद्यालय नहीं खोला गया। राजद शासनकाल में दलितों, अतिपिछड़ों और अकलियत के टोले में जो विद्यालय खोले गए थे, उसे भी किसी दूसरे विद्यालय में टैग कर दिया गया अथवा स्थाई रूप से बंद कर दिया गया। राजद शासनकाल में स्वीकृत शिक्षकों के लगभग सात लाख पदों में भी आधा से ज्यादा अभी रिक्त हैं। वर्षों से शिक्षक बहाली के नाम पर केवल तमाशा हो रहा है। जबकि शिक्षकों को अब नियमित वेतनमान नहीं बल्कि एक फिक्स्ड राशि दी जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग का हाल तो और बुरा है। एनडीए सरकार द्वारा सोलह वर्षों मे एक भी स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना तो नहीं ही की गई, बल्कि राजद शासनकाल के दौरान राज्य के सभी ग्रामपंचायतों मे खोले गए उप स्वास्थ्य केन्द्रों में अधिकांश बंद कर दिए गए हैं। डॉक्टर और तकनीशियन के अभाव में कई अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्रों पर ताले लटक रहे हैं। विशेष तौर पर खोले गए रेफरल अस्पतालों की भी स्थिती ठीक नहीं है। राज्य में 60 प्रतिशत डॉक्टर और 80 प्रतिशत स्वास्थयकर्मी और तकनीशियन के पद रिक्त हैं, जबकि एनडीए सरकार में इनकी नियुक्ती नियमित वेतनमान में न करके फिक्स्ड वेतन पर अनुबंध द्वारा की जाती है।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि सरकार के मुखिया द्वरा बार-बार बिजली की चर्चा की जाती है तो उन्हें यह भी बताना चाहिए कि इनके शासनकाल में बिजली उत्पादन की कितनी यूनिटें लगाई गई और बिहार में बिजली उत्पादन की क्षमता क्या है। राजद शासनकाल में अपने ईकाईयों से उत्पादित बिजली की आपूर्ति की जाती थी, जो उपभोक्ताओं को सस्ता मिलता था। जबकि आज बिजली खरीदकर दूगने और तीगुने किमत पर उपभोक्ताओं को दी जा रही है और यह काम केवल व्यापारी हीं कर सकता है, वेल्फेयर राज्य ऐसा नहीं कर सकता। साथ ही इसका श्रेय तो राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना को है, जो केंद्र की यूपीए सरकार की देन है। जैसे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क सम्पर्क योजना के तहत ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया गया। राज्य की सरकार तो उन ग्रामीण सड़कों का रखरखाव भी ठीक से नहीं कर सकी। अधिकांश सड़क अब जर्जर हो चुकी है। महागठवंधन सरकार के समय शुरू किया गया नल-जल योजना तो आज भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुका है।
राजद प्रवक्ता ने जानना चाहा है कि आखिर सरकार इतना काम करती है तो सोलह साल में कई उद्योग-धंधे खुले, कौन से बंद चीनी मिल, रेशम उद्योग, पटशन उधोग आदि पुनः चालू हुए । आखिर पलायन में राजद शासनकाल की तुलना में डेढ से दो सौ प्रतिशत की वृद्धि कैसे हो गई ?
राजद प्रवक्ता ने कहा कि राज्य के मुखिया कह रहे हैं कि ” हम काम करते रहते हैं “। तो राज्य की जनता को यह जानने का हक है कि आखिर आप करते क्या हैं ? आखिर काम के नाम पर खर्च होने वाली राजकोष का पैसा जाता कहाँ है ? सीएजी के अनुसार राजकोष से खर्च किये गये दो लाख हजार करोड़ रुपए कहाँ खर्च हुए इसका कोई लेखा जोखा नहीं है। इसके बारे मे तो आज की सरकार को हीं बताना होगा सोलह साल पूर्व की सरकार को नहीं।