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बिहार उपचुनाव : राजद-कांग्रेस के बीच मैच फिक्स, घाटे में रह सकती है NDA

पटना : बिहार के 2 विधानसभा सीटों पर आगामी कुछ दिनों में उपचुनाव होने को है। वहीं, इस उपचुनाव से पहले महागठबंधन में राजद और कांग्रेस के बीच चल रही खींचतान कम होते नहीं दिख रही है। इस बीच अब कांग्रेस ने भी तारापुर व कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट पर अपने उम्मीदवार को उतार दिया है। इसके बाद से अब महा गठबंधन की राजनीति अधिक गर्म हो गई है। कांग्रेस के उम्मीदवार उतारने के बाद राजद और कांग्रेस नेता एक दूसरे पर ही बयानबाजी कर रहे हैं। इसी बीच इन सब प्रकरण को लेकर जदयू ने महागठबंधन के दोनों सहयोगियों पर बड़ा आरोप लगाया है।

कांग्रेस और राजद में सबकुछ पहले से तय

जनता दल यूनाइटेड ने कहा है कि कांग्रेस और राजद में सबकुछ पहले से तय था। जनता को भरमाने के लिए फिक्स मैच में राजद और कांग्रेस एक दूसरे के विरुद्ध होने का दावा कर रहे हैं जबकि असलियत है कि दोनों जगहों पर कांग्रेस और राजद ने एनडीए के वोट बैंक माने जाने वाली जाति के उम्मीदवार उतार कर वोट अपने पाले में करने की कोशिश की है।

मुख्य एजेंडा एनडीए उम्मीदवार को हराना

जदयू का कहना है कि राजद और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों का मुख्य एजेंडा एनडीए उम्मीदवार को हराने का प्रयास करना है। लेकिन वो अपने इरादे में सफल नही होंगे। जदयू का कहना है कि राजद कांग्रेस की इस झूठी नराजगी को जनता भी बखूबी समझ रही है।

जातीय समीकरण का ख्याल

गौरतलब है कि कांग्रेस ने उपचुनाव के लिए तारापुर में ब्राह्मण समाज के उम्मीदवार पर दांव खेला है, तो वहीं राजद ने वैश्य समाज के उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। राजनीतिक समीकरण को देखें तो यह दोनों ही जातियां एनडीए समर्थक मानी जाती हैं। राजनीतिक जानकारों की माने तो बिहार में अभी भी ब्राह्मण जाति का मत एनडीए के खाते में ही जाता है, ऐसे में बामन जाति के उम्मीदवार को मैदान में उतारकर कांग्रेस ने एनडीए के लिए थोड़ी मुश्किल जरूर खड़ा कर दी है।

आरोप लगाने वाले ढूंढ रहे हैं हार का बहाना

वहीं, एनडीए द्वारा जो आरोप लगाया जा रहा है इसको लेकर कांग्रेस का कहना है कि जिन्हें जो आरोप लगाना है लगा लें लेकिन हमारी लड़ाई सिर्फ एनडीए से नहीं है बल्कि राजद से भी है। जो लोग भी ऐसा आरोप लगा रहे हैं वो पहले ही अपनी हार का बहाना खोज रहे हैं।

कुशवाहा और यादव का वर्चस्व

दरअसल तारापुर में जो जातीय समीकरण है उसके मुताबिक कुशवाहा और यादव का वर्चस्व माना जाता है, लेकिन जीत हार में निर्णायक भूमिका सवर्ण और वैश्य समाज की मानी जाती है। राजद को उम्मीद है की राजद के MY समीकरण तो साथ रहेगा ह। ऐसे में वैश्य समाज के उम्मीदवार होने से बड़ा वोट बैंक राजद के साथ जुड़ेगा जिसका फायदा राजद उम्मीदवार को मिलेगा। वहीं कांग्रेस भी ब्राह्मण वोट बैंक में सेंघ लगाएगी और इसका घाटा NDA उम्मीदवार को ही होगा।